Bhaskaracharya

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Rājakamala Prakāśana, Jan 1, 2011 - Hindu astrology - 292 pages
भास्कराचार्य प्राचीन भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण गणितज्ञ- खगोलविद् हैं। ईसा की बारहवीं सदी में (1114 ई.), आज से लगभग नौ सौ साल पहले जन्मे भास्कराचार्य ने भारतीय गणित व ज्योतिष को लगभग चरम पर पहुँचा दिया था। विद्वानों का मानना है कि उसके बाद भारत में गणित व ज्योतिष का विकास बहुत कम हुआ। उनकी ‘लीलावती’ पुस्तक के बारे में आज भी गाँवों में बुजुर्ग लोग बात करते मिल जाते हैं। इस प्रसंग में एक दिलचस्प घटना का उल्लेख लेखक ने पुस्तक के शुरू में किया भी है। भारत की देशीय वैज्ञानिक चेतना के पैरोकार तथा अन्वेषक गुणाकर मुले ने गहन अध्यवसाय तथा शोध के बाद भास्कराचार्य के जीवन, व्यक्तित्व तथा कृतित्च से सम्बन्धित कुछ दुर्लभ तथ्यों की खोज कर इस पुस्तक की रचना की, और गणित के क्षेत्र में सदियों पहले किए गए उनके कार्यों को सरल सुगम भाषा में प्रस्तुत किया है। पुस्तक का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष यह है कि इसमें केवल भास्कराचार्य ही नहीं, बल्कि उनके आविर्भाव से पहले भारत में गणित के विकास और उनके बाद की स्थिति की भी विस्तृत विवेचना की गई है जिससे यह पुस्तक भारतीय गणित ज्योतिष के इतिहास का एक विस्तृत सूचनात्मक खाका भी हमें देती है। पुस्तक में भास्कराचार्य की जीवनगाथा के सूत्रों को जोड़ने के अलावा उनकी उपलब्ध पुस्तकों - ‘लीलावती’, ‘बीजगणित’, ‘सिद्धान्त शिरोमणि’ तथा ‘करण कुतूहल’ - पर विस्तृत अध्याय हैं जिनसे हमें इन पुस्तकों की विषय-वस्तु की सम्यक् जानकारी मिलती है और साथ में है विस्तृत परिशिष्ट। जिससे हमें भारतीय गणित ज्योतिष के बारे में अद्यतन सूचनाएँ तथा गणित ज्योतिष के आधुनिक इतिहासकारों, आदि का परिचय प्राप्त होता है। मसलन परिशिष्ट के एक अध्याय में बताया गया है कि राजा सवाई जयसिंह द्वारा बनवाई वेधशालाओं के बाद भारत में आकाश के अध्ययन अवलोकन के लिए निर्मित साधनों में कितनी प्रगति हुई है। कहना न होगा कि भारत में गणित-ज्योतिष के विकास- क्रम पर यह एक सम्पूर्ण-ग्रन्थ है; साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि यह स्वर्गीय गुणाकर जी की उन कुछ पुस्तकों में एक है जिन पर वे अपने अन्तिम दिनों में काम कर रहे थे; हमारा सौभाग्य कि यह पुस्तक उनके ही हाथों पूरी हो चुकी थी।

About the author (2011)

जन्म : विदर्भ के अमरावती जिले के सिंदी बुजरूक गांव में, 3 जनवरी, 1935 को। आरंभिक पढ़ाई गांव के मराठी माध्यम के स्कूल में। स्नातक और स्नातकोत्तर (गणित) अध्ययन इलाहाबाद विश्वविद्यालय में। आरंभ से ही स्वतंत्र लेखन। विज्ञान, विज्ञान का इतिहास, पुरातत्व, पुरालिपिशास्त्र, मुद्राशास्त्र और भारतीय इतिहास व संस्कृति से संबंधित विषयों पर करीब 35 मौलिक पुस्तकें और 3000 से ऊपर लेख हिंदी में और लगभग 250 लेख अंग्रेजी में प्रकाशित। विज्ञान, इतिहास और दर्शन से संबंधित दर्जन-भर ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद। सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र (नई दिल्ली) द्वारा अध्यापकों के लिए आयोजित प्रशिक्षण-शिविरों में लगभग एक दशक तक वैज्ञानिक विषयों पर व्याख्यान देते रहे। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् (नई दिल्ली) द्वारा प्रदत्त सीनियर फैलोशिप के अंतर्गत 'भारतीय विज्ञान और टेक्नोलॉजी का इतिहास’ से संबंधित साहित्य का अध्ययन-अनुशीलन। विज्ञान प्रसार (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार) के दो साल फेलो रहे। प्रमुख कृतियां : अक्षर-कथा, भारत : इतिहास और संस्कृति, आकाश-दर्शन, संसार के महान गणितज्ञ, तारों भरा आकाश, भारतीय इतिहास में विज्ञान, नक्षत्र-लोक, अंतरिक्ष-यात्र, सौरमंडल, महापंडित राहुल सांकृत्यायन, महाराष्ट्र के दुर्ग, गणितज्ञ-ज्योतिषी आर्यभट, भारतीय अंक-पद्धति की कहानी, भारतीय लिपियों की कहानी, भारतीय विज्ञान की कहानी, भारतीय सिक्कों का इतिहास, भास्कराचार्य, कंप्यूटर क्या है, कैसी होगी इक्कीसवीं सदी, खंडहर बोलते हैं, बीसवीं सदी में भौतिक विज्ञान, कृषि-कथा, महान वैज्ञानिक महिलाएं, प्राचीन भारत में विज्ञान, भारत के प्रसिद्ध किले, हमारी प्रमुख राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं, गणित की पहेलियां, भारत : इतिहास, संस्कृति और विज्ञान आदि। पुरस्कार-सम्मान : हिंदी अकादमी (दिल्ली) का साहित्य सम्मान पुरस्कार। केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा) का आत्माराम पुरस्कार। बिहार सरकार के राजभाषा विभाग का जननायक कर्पूरी ठाकुर पुरस्कार। मराठी विज्ञान परिषद् (मुंबई) द्वारा श्रेष्ठ विज्ञान-लेखन के लिए सम्मानित। 'आकाश-दर्शन’ व 'संसार के महान गणितज्ञ’ ग्रंथों के लिए प्रथम मेघनाद साहा पुरस्कार। राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (NCSTC) का राष्ट्रीय पुरस्कार। निधन : 16 अक्टूबर, 2009

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