Sagar Vigyan

Front Cover
Prabhat Prakashan, Jan 1, 2009 - 200 pages

 

सागर विज्ञान
पढने या सुनने में यह बात भले ही अटपटी लगे, पर यह सत्य है कि अब वह समय आ गया है जब हमे खाद्य, आवास, ऊर्जा, प्रदूषण आदि की बढती हुई समस्याओं के समाधान के लिए थल के सीमित संसाधनों से हटकर सागर की ओर उन्मुख होना चाहिए । सागर पृथ्वी के केवल 71% भाग को ही घेरे हुए नहीं है, उसमें कुल जल का 97% भाग ही नही है, वरन् उसमें अपार खनिज संपदा, असंख्य जीव - जंतु और ऊर्जा का असीम भडार भी है ।
यद्यपि पृथ्वी के प्रथम जीव का विकास सागर में ही हुआ था और मनुष्य से उसका परिचय आदि काल में ही हो गया था, फिर भी आज तक वैज्ञानिकों के लिए सागर एक रहस्य ही बना हुआ है, थल खंडों को अलग करनेवाली जलराशि मात्र । विचित्र प्रतीत होते हुए भी यह सत्य है किं 1960 के दशक तक सामान्य विद्यार्थी को चाँद के बारे में अधिक जानकारी थी, पर अपने देश को तीन ओर से घेरे हुए हिंद महासागर के बारे में कम ।
सागर मे आश्रय पाने के लिए हमे उसकी तली, उसके पानी और खनिजों के साथ -साथ उसके जीव-जंतुओं के गुणों, उसकी लहरों, ज्वार- भाटाओं और जलधाराओं में निहित ऊर्जा के बारे मे भी पर्याप्त ज्ञान की आवश्यकता है ताकि वह हमारे लिए आधिकाधिक उपयोगी सिद्ध हो सके ।
श्यामसुदर शर्मा कृत सागर विज्ञान इसी दिशा में एक प्रयास है, जो सागर के बारे में उपलब्ध महत्त्वपूर्ण जानकारियों को सीधी-सादी भाषा में जनसाधारण तक पहुँचाती है ।

About the author (2009)

 

श्यामसुंदर शर्मा
जन्म : 8 दिसंबर, 1929 ।
आरंभिक शिक्षा जबलपुर (मध्य प्रदेश) में । कुछ वर्षो तक रसायनशास्त्र में शोध करने के पश्चात् हिंदी में विज्ञान लेखन । 1958 से ' विज्ञान प्रगति ' (कौंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की हिंदी विज्ञान - मासिक) से संबद्ध : 1964 से पत्रिका का संपादन । दिसंबर 1989 में सपादक पद से अवकाश ग्रहण ।
हिंदी में विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी विषयो पर प्रकाशित पुस्तकों और पत्रिकाओं के विवरणों का आकलन और तृतीय विश्व हिंदी सम्मेलन के अवसर पर ' हिंदी मे वैज्ञानिक और तकनीकी प्रकाशन निदेशिका ' का प्रकाशन ।
विविध वैज्ञानिक विषयों पर हिंदी मे सेकडों लेख प्रकाशित और रेडियो वार्ताएँ प्रसारित । कुछ पुरस्कृत पुस्तकें है - अनंत
आकाश : अथाह सागर (यूनेस्को पुरस्कार,  1969), सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिकी ( विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, 1987), प्रदूषण : कारण और निवारण (पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार, 1987), आओ चिड़ियाघर की सैर करें (हिंदी अकादमी, दिल्ली, 1985 - 86), विज्ञान परिषद इलाहाबाद द्वारा उत्कृष्ट संपादन हेतु सम्मानित ।

Bibliographic information