Sansar Ke Mahan GanitagyaRajkamal Prakashan Pvt. Limited, Jan 1, 2008 - 423 pages वैज्ञानिकों ने भौतिक जगत के अन्वेषण के लिए गणित का उपयोग परमावश्यक माना है। लेकिन इतने महत्त्व का विषय होते हुए भी अंग्रेजी तक में गणित के इतिहास और गणितज्ञों के बारे में जानकारी देनेवाले ज्यादा ग्रंथ नहीं हैं। जो हैं, उनमें भारत या पूर्व के अन्य देशों की गणितीय उपलब्धियों के बारे में बहुत कम सूचनाएँ मिलती हैं। इस दृष्टि से प्रस्तुत पुस्तक की उपादेयता स्वयंसिद्ध है। यह इसलिए और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हिन्दी में यह अपने विषय की सम्भवतः पहली कृति है। इस ग्रंथ में विद्वान लेखक ने यूनानी गणितज्ञ यूक्लिड (300 ई.पू.) से लेकर जर्मन गणितज्ञ डेविड हिल्बर्ट (1862-1943) तक संसार के उनचालीस गणितज्ञों के जीवन और कृतित्व का परिचय दिया है। इनमें पाँच भारतीय गणितज्ञ भी हैं - आर्यभट, ब्रह्मगुप्त, महावीराचार्य, भास्कराचार्य और रामानुजन, जो संसार के श्रेष्ठ गणितज्ञों के समुदाय में स्थान पाने के निश्चय ही अधिकारी हैं। प्रस्तुत ग्रंथ में गणितज्ञों को कालक्रमानुसार रखा गया है, इसलिए इस ग्रंथ से प्राचीन काल से लेकर वर्तमान सदी के आरम्भ काल तक के गणित के बहुमुखी विकास की भी सिलसिलेवार जानकारी मिल जाती है। ग्रंथ के अंत में पारिभाषिक शब्दावली, सहायक ग्रंथ-सूची, नामानुक्रमणिका, विषयानु- क्रणिका आदि के छह परिशिष्ट हैं। हम न्यूटन, गॉस, आयलर, रीमान, कांतोर आदि महान गणितज्ञों के गणितीय सिद्धांतों के बारे में पढ़ते हैं, उनका उपयोग करते हैं। मगर इन गणितज्ञों के संघर्षमय जीवन के बारे में हमारी जानकारी नहीं के बराबर होती है। संसार के महान गणितज्ञों के जीवन और कृतित्व से सम्बन्धित यह प्रेरणाप्रद जानकारी इस ग्रंथ में मिलेगी, हिन्दी में पहली बार। |