Viśvakavi Tulasī aura unake kāvya

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Sūrya-Prakāśana, 1973 - 303 pages
On the works of Tulsidas, 1532-1623, Awadhi saint poet; a study.

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अतीव अतुलनीय अथवा अधिक अनेक अन्य अपने अलंकार इत्यादि इन इस इसका इसमें उत्तरकाण्ड उनका उनकी उनके उन्होंने उसके उसे ऋग्वेद एक एवं ऐसा ऐसे और कबीर कर करते हैं करना करने कवि कविता कवितावली कहीं का कालिदास काव्य किए किन्तु किया है किसी की कुछ के के कारण के लिए केवल को कोई गई गए गया है गीतावली ग्रन्थ जा जाता है जीवन जो तक तथा तथ्य तुलसी तुलसीदास ने तो था थी थे दर्शन दिया द्वारा धर्म नहीं नहीं है पर पार्वती प्रतीक प्रभाव प्रयोग प्राप्त बन बहुत भक्ति भारत भारतीय भी मन महान् महाभारत मानस में में में भी यदि यह यहाँ या रस राम रामचरितमानस रामायण रूप में रूपक वर्णन वह वाल्मीकि विनय पत्रिका विश्व वे वेद संसार संस्कृति सकता है सकती सकते सब सम्पन्न साहित्य में सीता से सो सौन्दर्य स्पष्ट हिन्दी ही हुआ हुए है हैं हो होता है होती होते होने होमर

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