श्रीमत् भगवत् गीता (हिंदी पद्य अनुवाद) / Shrimat Bhagvat Gita (Hindi Poetic Translation)

Front Cover

From inside the book

Common terms and phrases

१० १६ १७ १८ अति अर्जुन अर्जुन उवाच अर्थ आत्म आत्मा आदि आसक्ति इति इन्द्रिय इस उत्तम उत्पन्न उस एक ओर और कर करता करते करने कर्म कहते कहा का काम कारण किया की कुछ कृष्ण के के लिए को गीता गुण चित्त जग जन्म जानता जीव जो ज्ञान तथा तन तप तब तरह तु तुम तो त्याग दान देव धर्म नर नष्ट नहि नही नहीं निज ने पर परम परमात्मा पाता पाप पार्थ पुनः पुनि पुरुष प्रकाश प्रकृति प्राण प्राणियों प्राप्त प्रिय फल बुद्धि ब्रह्म भी मन मम महा मुझको मुझमें मुझे में मेरे मैं यज्ञ यदि यह यहाँ यही या युक्त युत युद्ध योग योगी रहित रूप लोक वह वही विष्णु वे वेद श्री भगवानुवाच सदा सब सभी सम सर्व सुख से हि हित ही हुआ हुए हूँ हे हेतु है हैं हो हों होता होते होने से

Bibliographic information