Gīta mere svara tumhāreSāhitya-Saṅgama, 1969 - 64 pages |
Common terms and phrases
अगर अधरों अन्तर अपनी अपने आँगन में आँसू की आकर आज इस इसलिए उस एक ऐसा और कभी कर दो करता का विश्वास क्या काजल कारण काव्य कुछ कैसे को कोई क्या क्या है गंगा गठबन्धन गागर गीत गीतों की घायल घूँघट छाया जब जहाँ जाए जाने जाये जिस जीवन का जो ताजमहल तुम तुम्हीं कहो तुम्हें तेरे तो दर्पण दुनिया दूँगा दो न छीनना नहीं होता ने पतझर पनघट पर पलकों प्यास प्राण प्राणों फिर फिर भी बन बना बने बहुत बिहार भर दो भी मत कहना मधुबन मन का मन के मानसरोवर मुझको मुझे में में हो मेरा मेरी मेरे मेरे मन मैं मोल यदि यमुना यह यहाँ रहता रहा है रही रहे रूप ले लेकिन लो वह वीणा वृन्दावन शहनाई संभव है सचमुच सपनों की सरगम सहज साँसों सागर सावन सूरज से कह देना स्वर हर ही हूँ हैं हो गई हो तो होता है