Hindi Sahitya Ka Itihas1930 का दशक आधुनिक हिंदी साहित्य के रचनात्मक विकास में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। एक ओर कथानक और परंपरागत स्थूल वृत्त प्रेमचंद के हाथों में दृष्टि-सम्पन्न कथा-कृतियाँ बनते हैं तो दूसरी ओर प्रसाद-निराला-पंत- महादेवी के यहाँ पिछले इतिवृत्तात्मक काव्य-वर्णन सूक्ष्म अनुभूति-विधान का रूप लेते हैं। इसी के समानांतर रामचंद्र शुक्ल कवि-वृत्त संग्रह को इतिहास बनाते हैं। इतिहास-लेखन में रामचंद्र शुक्ल एक ऐसी क्रमिक पद्धति का अनुसरण करते हैं जो अपना मार्ग स्वयं प्रशस्त करती चलती है। विवेचन में तर्क का क्रमबद्ध विकास ऐसे है कि तर्क का एक-एक चरण एक-दूसरे से जुड़ा हुआ, एक-दूसरे में से निकलता दिखेगा। इसीलिए पाठक को उस पर चलने में सुगमता होती है, जटिल से जटिल प्रसंग आसानी से हृदयंगम हो जाता है। लेखक को अपने तर्क पर इतना गहरा विश्वास है कि आवेश की उसे अपेक्षा नहीं रह जाती। आदिकाल से लेकर आधुनिक काल तक आचार्य शुक्ल का इतिहास इसी प्रकार तथ्याश्रित और तर्कसम्मत रूप में चलता है। वे एक प्रवृत्ति के अंतर्गत सक्रिय या कि समकालीन लेखकों के मूल्यांकन में दोनों पक्षों के वैशिष्ट्य और उनकी सीमाओं का भी अकुंठ विवेचन करते चलते हैं। अपनी आरंभिक उपपत्ति में आचार्य शुक्ल ने बताया है कि साहित्य ‘‘जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिम्बित होता है,’’ और इन्हीं चित्तवृत्तियों की परंपरा को परखते हुए साहित्य-परंपरा के साथ उनका सामंजस्य दिखाने में आचार्य शुक्ल का इतिहास और आलोचना-कर्म निहित है। इस इतिहास की एक बड़ी विशेषता है कि आधुनिक काल के संदर्भ में पहुँचकर लेखक यूरोपीय साहित्य का एक विस्तृत, यद्यपि कि सांकेतिक ही, परिदृश्य खड़ा करता है, जैसे कि आदि तथा मध्यकाल के संदर्भ में संस्कृत-प्राकृत-अपभ्रंश काव्यशास्त्र तथा साहित्य का। इससे उसके ऐतिहासिक विवेचन में स्रोत, संपर्क और प्रभावों की समझ स्पष्टतर होती है। यही नहीं, लेखकों के साथ-साथ योरोपीय संगीतकार और कलावंतों पर भी नई प्रवृत्तियों के संदर्भ में वह यथावश्यक टिप्पणी करता है। - रामस्वरूप चतुर्वेदी |
Contents
Section 1 | 1 |
Section 2 | 3 |
Section 3 | 34 |
Section 4 | 39 |
Section 5 | 49 |
Section 6 | 62 |
Section 7 | 77 |
Section 8 | 103 |
Section 14 | 300 |
Section 15 | 308 |
Section 16 | 315 |
Section 17 | 335 |
Section 18 | 339 |
Section 19 | 365 |
Section 20 | 394 |
Section 21 | 402 |
Section 9 | 132 |
Section 10 | 159 |
Section 11 | 165 |
Section 12 | 222 |
Section 13 | 278 |
Section 22 | 410 |
Section 23 | 437 |
Section 24 | 495 |
Section 25 | 510 |
Common terms and phrases
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