KarmkandAtmaram & Sons, 1992 - 192 pages |
Contents
Section 1 | 9 |
Section 2 | 13 |
Section 3 | 35 |
Section 4 | 62 |
Section 5 | 79 |
Section 6 | 99 |
Section 7 | 103 |
Section 8 | 108 |
Section 9 | 154 |
Section 10 | 168 |
Section 11 | 174 |
Section 12 | 183 |
Section 13 | 190 |
Section 14 | 192 |
Section 15 | |
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Common terms and phrases
अच्छा अपनी अपने अब अविनाश आज आदमी आप आया इस उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसकी उसके उसे एक और कमला कर करता करते करने कहते हैं कहा कहां कहीं का काम किया किसी की कुछ के बाद के लिए के साथ को कोई क्या क्यों गयी गये गांव घर चाहिए छपरा जब जा जाते हैं जाने जी जो ठीक तक तब तरह तुम तुम्हारी तो था थी थे दिया दीवानपुर देखा दो दोनों नहीं नहीं है ने कहा पता पर पास प्रसाद फिर बरगद बात बाबू बार बाहर बिशनपुर भाई भी मालिक में मेरे मैं यह यहां या रह रहा है रही रहे हैं रांची राकेश राजन रात राम रामबाबू ने रामेश्वर ले लेकिन लोग लोगों वह वे शादी शिव शिवबाबू सकता सब सामने से सोनेलाल हम हमें हरिहर हाथ ही ही नहीं हुआ हुई हुए हूं है और है कि हो गया होगा होता है होती