Kranti Sutra : Sakshi Bhav

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Diamond Pocket Books (P) Ltd., Oct 18, 2021 - Fiction - 176 pages
आज मनुष्य के सामने दो ही विकल्प हैं या तो एक सामूहिक आत्मघात या फिर चैतन्य में एक गुणात्मक छलांग। यह आनंदपूर्ण हैं कि ऐसे संक्रमण-काल में विश्वभर में लाखों लोग ओशो की जीवनदृष्टि से आंदोलित हो रहे हैं और एक नए मनुष्य को, एक नए विश्व को जन्म देने के लिए तैयार हो गये हैं। ओशो के एक क्रांतिकारी संदेश का स्रोत सत्य का उनका अपना अनुभव है। यह संदेश उन पंडितों की तोता-रटंत नहीं है, जो अज्ञात के रहस्यों में प्रवेश करने के भय से शास्त्रों के वचन ओढ़ लेते हैं। ओशो के शब्द उनके अपने जिए हुए अनुभव से ओतप्रोत हैं। ये आग्नेय वचन एक जीवंत बुद्ध के सत्य से सिक्त हैं। यदि आप खुले हृदय से इन्हें पढ़ें तो ये वचन आपको आलोकित कर सकते हैं। सावधान-इस पुस्तक को खोलने वाला व्यक्ति शायद इसे बंद करते समय वही न रहे, जो वह खोलते समय था। याद रखों सत्य की अग्नि इस क्षण के पार, जीवन का कोई वचन नहीं देती

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Contents

Section 1
7
Section 2
26
Section 3
46
Section 4
60
Section 5
89
Section 6
107
Section 7
136
Section 8
157
Section 9
Section 10
Copyright

Common terms and phrases

अगर अनुभव अपने अब अभी अहंकार आदमी इतना इस इसलिए उनके उपनिषद् उस उसकी उसके उसने उसे ऊर्जा एक ऐसा ओशो और कभी कर करते करने करो कह कहते का का अर्थ किया किसी की कुछ के के लिए कैसे को कोई क्या क्योंकि गयी गये चाहिए जब जहां जा जाए जाती जाते हैं जाना जीवन जैसे जो ठीक तक तब तरह तुम तुमने तुम्हारे तुम्हें तू तो था थी थे दिन दिया दुख दे दो ध्यान नहीं है नाम ने कहा पता पर परमात्मा पहले पास पैदा फिर फूल बहुत बात बाहर बुद्ध भी भीतर मगर मत मन मुझे मृत्यु में मैं मैंने यह ये रहा है रही रहे रहे हैं रहे हो लिया लेकिन लोग वह वहां वही वे शब्द शराब शरीर सकता सत्य सब सिर्फ सुकरात सूत्र से हम ही नहीं हुआ हुए हूं है कि हैं हो गया होगा होता है होती होते होने

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