Śrī Rāmāyaṇa mahākāvya, Volume 4 |
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अनेक अपने अर्थात् आप आये इस प्रकार उत्पन्न उन उस उसके उसे ऋषि एक एवं ऐसा ऐसे कर करके करता करते करना करने करनेवाले कहा कारण कि किन्तु किया किये की के को क्योंकि गया गये चाहिये जैसे जो तं ततः तथा तदनन्तर तब तस्य तु तुम तुम्हारे तू ते तो त्वं था थी थे दिया देखकर देखा धर्मात्मा धारण नष्ट नहीं नहीं है नाम पर पास प्राप्त फिर बडे बहुत बाणोंसे बोले भी मम मया मुझे मे में मेरा मेरी मेरे मैं यथा यदि यह यहाँ युक्त युद्ध ये राक्षस राक्षसोंके राजा राम रामं रामः रामका रामके रामको रामने रामसे रामो रावण लक्ष्मण लगा लगे लिया लिये वचन वनमें वह वा वे शब्द श्रेष्ठ सकता सब समय समान सर्ग समाप्त सर्गः सह सा साथ सीता सीताको हि ही हुआ हुई हुए हूं हे हे राम हे लक्ष्मण है और है कि हैं हो होकर होता है