Vivah Vimarsh Vivah Samay : Sangyan Sutra

Front Cover
Motilal Banarsidass Publishe, 2008 - 426 pages

From inside the book

Selected pages

Contents

Section 1
3
Section 2
33
Section 3
74
Section 4
205
Section 5
228
Section 6
250
Section 7
256
Section 8
260
Section 12
323
Section 13
324
Section 14
331
Section 15
333
Section 16
338
Section 17
343
Section 18
404
Section 19
410

Section 9
283
Section 10
287
Section 11
315
Section 20
422
Copyright

Common terms and phrases

अंश अतः अथवा अनेक अन्तर्दशा अपने इस उत्पन्न उस एक एवं और कन्या कर रहा था कर रहा है करके करते करना चाहिए करने के करें कला का विवाह किया किसी की कृतिका के मध्य के लिए के साथ केतु को गया गोचर का ग्रह चं चक्र चन्द्रमा जन्म जन्मांग जप जब जी जीवन जो तक तथा तब तो तो विवाह थी दृष्टि द्वारा नक्षत्र नवमांश नहीं ने पति पर परन्तु पार्वती प्रकार प्राप्त बु बुध बृ बृहस्पति भाव में भी मं मंगल मंत्र मन मन्त्र में विवाह में स्थित है यदि यह या योग रही रहे रा राशि में राहु रूप लग्न वर्ष वह विचार विलम्ब विवाह के विवाह में विवाह सम्पन्न वे शनि शनि की शिव शीघ्र शु शुक्र सं सप्तम भाव सप्तमेश समय सू सूर्य से स्थान स्पष्ट ही हुआ हेतु है कि है तथा हैं हो हों होकर होगा होता है होती होने के

Bibliographic information