आकांक्षाOnlineGatha, Jan 9, 2016 - 40 pages उसका यूँ रूठ के जाना यूँ मुझसे दूर जानाखवाबों का टूट जाना उसका रूठ के जाना यूँ मुझे रुलाना मेरा दिल दुखाना उसका रूठ के जाना यूँ मुझे सताना मेरी नींदे चुराना उसका रूठ के जाना न मंजिल का पता न मेरा ठिकाना ये दिल है तन्हा हो जायेगा दीवाना वो ऑंखें नशीली वो चेहरा गुलाबी उसके ख्यालों में ये दिल है तन्हा |
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अपना अपने अब अाओो मनाये नववर्ष आँखों आई है आपकी आपके आपको उन्होंने उस रिश्तों को उसका रूठ के उसकी ऐसा लगता है और कभी कभी कभी थोडा कभी-कभी कमेरी प्रेमिका कर कह कर रह गयी करना का हुआ है की कोशिश कुछ के लिए को मैं क्या क्या नाम दूं खवाब खुशी चाँद जब से तुम्हे जिन्दगी जिसे जो तन्हा तुम्हे देखकर ऐसा तो थी थोडा ही सही दिल से दूर होकर भी देखकर ऐसा लगता धनजय चौधरी नववर्ष आाया नववर्ष का त्यौहार नहीं नाम दूं जिसमे पर पागल प्यार के बस बहुत बात भी धुआ मनाये नववर्ष का मिले में प्रेमी हूँ मेरे मैं क्या नाम याद ये दिल रख दिए रिश्तों को मैं रूठ के जाना वतन वर्ष का हुआ वो मेरी सी लगती हो सूरत से तुम्हे देखा हंस हंसी हमने हर हुआ है आगाज़ है जब है तुम्हे देखकर हो गया तेरी हो तुम होगा