Khwabon Se Haqeeqat Ka Safar

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Sahityapedia Publishing, Nov 16, 2022 - Poetry

जिंदगी ख्वाबो का सफर

जिंदगी हकीकत की जुबां

जिंदगी गमों का तर्जुमा

जिंदगी रंज-ए- बयान

जिंदगी फिर भी हसीन

जिंदगी फिर भी (जवां) जवा ❤️


इसी खयाल को लफ्जों में पिरो कर (ख्वाबों से हकीकत का सफर) शुरू हुआ और उम्र के साथ साथ चलता गया और मेरा हमेशा से ये यकीन है, खुदा ए बरतर की जात पर, कि चाहे आप के सामने कितनी ही मुश्किलें दर पेश आ जाएं, अगर आप खुदा के ऊपर सब छोड़ देते हैं और अपना जो आपका फर्ज बनता है वो करते रहेंगे, तो यकीन जानिए, आप को पता ही नहीं लगेगा कब आपने अपने ख्वाबों को हकीक़त की शक्ल में ढलते हुए पा लिया।


ख्वाबों से हकीकत का सफर वो सफर है जिस के लिए एक मुख्तसर सा शेर यूँ है के-


मैं अकेला ही चला था जनि _ बे _ मंजिल मगर

लोग साथ आते गये और कारवाँ

बनता गया


आप इस सफर को शुरू कीजिए आप सच्चे है तो मंजिले खुद आप को तलाश करेगी बस ये कलम यही बयान कहती है


इतना तो कोई इंसा खुद आप सम्भल जाए

ये गर्दिशे दौरा भी कतरा के निकल जाए

हालात के मारो पर अब कौन तरस खाए

बेहतर है कि कांटों मे गुल और भी खिल जाए!!!!!

 

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अपना अपनी अपने अब अल्लाह आता है आया इन्सान इश्क़ इस दौर में उम्मीद उस एक तरफ ऐसा और कभी कर करके करते हैं करना कहा का काम कि किया किसी की कुछ कुछ और है के को कोई कौन क्या खुद ख़ुदा खुशी खूबसूरत ग़म गया गये चाहिये जब ज़रा जाता है जाते हैं जाने जाये जिन्दगी जैसी जो तक तरह तुझे तुम तुम्हारे तू तेरी तो था थी थे दिन दिया दिल को दिल में दुनिया दे देख दो नज़र नहीं नहीं आता ना ने पर पहले पे फिर फूल बस बहुत बात बातें भला भी मगर मत मिले मुझे मुहब्बत मुहब्बत रंग मेरा मेरी मेरे मैं मौसम यहाँ याद ये ये तो रंग रहे हैं लिया लिये ले वक्त वफा वो सब सी सुनो से सोच हम हमारी हमारे हमें हर ही है कोई है तो है मुहब्बत हैं हो होगा होगी होता है होते होने

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