NachiketaSuruchi Prakashan - 24 pages |
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अग्निविद्या अपनी अपने अब आचार्य जी आज्ञा आत्मविद्या आप आश्रम इस उनका उन्हें उपनयन उसका उसकी उसके उसे ऋषि एक ऐसा और कर करके करते करने करें का कि किया किसी की के पास के लिए के साथ कोई क्या गया गये गाय गायों गुरु गुरुकुल गुरुजी घर चाहिये जाता है जो ज्ञान तक तीन तुम तुम्हें तो था थी थीं थे दान में दिन दिया दु:खी दूध दे देखकर देने धर्मराज नचिकेता को नचिकेता ने नहीं है नियम ने कहा ने नचिकेता पर परन्तु पाप पिताजी पुण्य पूछा पूजा प्रकार प्रसन्न प्राप्त प्रिय फिर बन बहुत बात बातें बालक बेटा बोला बोले भगवान भारत भी महल माँ मुझे मेरी मैं मोक्ष यजुर्वेद यज्ञ यज्ञ का यमराज जी यमराज ने यह रहा लगा लगे वर वह वहाँ वाजश्रवस वाजश्रवस ने विद्या विश्व विश्ववरा वे वेद सब सभी से स्मरण ही हुआ हुए हूँ हैं हो होकर होगा होता