Goraksha Raashtr Raksha Goseva Janaseva

Front Cover
Suruchi Prakashan - 88 pages

 गोवंश का संरक्षण व उसके प्रति स्नेह-सम्मान का भाव प्राचीन काल से भारतीय सभ्यता व संस्कृति का महत्त्वपूर्ण अंग रहा है। गाय को भारत में कृषि, स्वास्थ्य, पवित्रता व ममतामयी प्रेम का मूल प्रतीक माना गया है। हजारों वर्षों से गाय हिन्दू धर्म व संस्कृति एवं आस्था का प्रमुख केन्द्र रही है। संत विनोबा भावे के शब्दों में, “भगवान ने गाय को लोक कल्याण के लिये ही बनाया है। वह हमारी सेवा और प्रेम को पहचानती है और सदा त्याग की अविरल भावना से ओतप्रोत अधिक से अधिक योगदान करने के लिये तत्पर रहती है।” गाय प्रेम, त्याग, करुणा, उदारता, धैर्य, गंभीरता एवं सन्तोष की साक्षात् मूत्र्ति है। वस्तुतः सम्पूर्ण विश्व में गाय के समान महत्त्वपूर्ण व मूल्यवान पशु कोई दूसरा नहीं है। जर्मनी के कृषि वैज्ञानिक डा. जुलिशिस के मत में गाय अपनी श्वाँस से प्राणवायु-आक्सीजन छोड़ती है। गाय के शरीर में गूगल की गन्ध प्रवाहित रहती है, जो प्रदूषण को नष्ट करती है। प्रकृति एवं पर्यावरण में सन्तुलन बनाये रखने और उसके संरक्षण में गाय का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। गोवंश धर्म व अर्थ का पोषण करता है। धर्म से मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा अर्थ से सांसारिक कामनाओं की पूर्ति होती है। इस प्रकार गाय न केवल हमारे आर्थिक व सामाजिक लक्ष्यों की पूर्ति करती है, वह हमारी आस्था व आध्यात्म का भी मुख्य केन्द्र है। 

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Common terms and phrases

अत्यन्त अधिक अपनी अपने अर्थ आदि इस इसके एक एवं और कर करके करती है करते हुए करना करने करने के कर्नाटक कहा गया है का कानून कार्य किन्तु किया की कृषि के कारण के प्रयोग के लिए केन्द्र को खाद खेती गया है कि गाय के गायों गुजरात गो गोबर गोमांस गोरक्षा गोवंश की गोसेवा गोहत्या चाहिए चिकित्सा जा जाता है जाये जी जो तक तथा तो था दिया दूध देने देश में द्वारा धर्म नहीं ने पर परिषद पशु पशुओं पुस्तक पूर्ण प्रतिबन्ध प्रकार प्रजाति प्रतिबन्ध लगाने प्रयास प्राप्त बहुत बैल भारत में भारतीय भी भूमि महाभारत महाराष्ट्र मांस में में गाय यह या रंग रक्षा रहा है राज्य राष्ट्रीय रूप में रोग लिखा है कि वध वह वाले श्री संघ संरक्षण संविधान सकता सभी समाज सम्पूर्ण सरकार साथ सिद्ध से हिन्दू ही हुआ हेतु है और है कि हो होता है होती होते हैं होने

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