चकाड़ोला की ज्यामिति: Chakadola Ki Jyamiti

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Book Bazooka Publication, Dec 1, 2016 - Religion - 116 pages

हिन्दी पाठकों के लिए चकाड़ोला का अर्थ समझने में थोड़ी- सी परेशानी होगी क्योंकि चकाड़ोला जगन्नाथ जी का प्रतीक है तथा दारू यानि नीम-काष्ठ से बनी शालभंजिका मूर्तियों में बनी बड़ी-बड़ी गोलाकार आँखों के प्रतीक भगवान जगन्नाथ को चकाड़ोला नाम से संबोधित किया गया है। अब प्रश्न यह उठता है-भगवान जगन्नाथ की आँखें चक्राकार अर्थात वृत्ताकार ही क्यों हैं, दीर्घ वृत्ताकार,वर्गाकार या त्रिभुजाकार ज्यामितिक आकार में क्यों नहीं? अपने अंतर्जगत में झाँकने पर आपको ज्ञात होगा कि वृत्त ही एक ऐसी ज्यामितिक सरंचना है, जिसमें परिधि के अनंत बिन्दुओं से केंद्र बिन्दु की दूरी एक समान है अर्थात् भगवान के लिए सृष्टि के सारे जीव एक समान होते हैं, उनके प्रति किसी भी भेदभाव की दृष्टि भगवान द्वारा नहीं रखी जाती हैं।


दूसरा अर्थ यह भी लिया जाता है कि परमाणुओं से लेकर खगोलीय पिंड जैसे सूर्य,चन्द्र, निहारिका,उपग्रह सभी गोलाकार होते हैं अतः सृष्टि के स्रष्टा को किसी गोलाकार आकृति के माध्यम से व्यंजित करना उचित है। यह जगन्नाथ संस्कृति का एक मुख्य पहलू भी है।


कवि की सारी कविताओं में आध्यात्मिकता के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण का भी समावेश है। उनके अनुसार जगन्नाथ रूपी वृत्त का केन्द्रबिन्दु सृष्टि में सब जगह है मगर उसकी परिधि अपरिमेय है,सीमाहीन है। इसी प्रकार से गणितीय सूत्र में कवि ने ईश्वर की परिभाषा "limit M/D=G” जहां M=Man, D=Desire तथा G=God से अभिप्रेत है। अगर डिजायर शून्य होती है तो मनुष्य ईश्वर तुल्य हो जाता है और उसका परिमाण अनंत होता है।


इस प्रकार से अपनी कविताओं में कवि ने अणु,परमाणु,आइंस्टीन के सूत्र (E=mc2), शरीर के जीवाणु, स्नायु-तंत्र, बाहरी रूपरेखा से लेकर आंतरिक जगत के सौंदर्य-बोध,आत्मा का देश,तृष्णा, अनंत आकांक्षाएँ,प्रीति,प्रत्यय और विवेक आदि अमूर्त शब्दावली की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। भौतिक,रसायन और विज्ञान में भगवान का अनुसंधान कोई कवि किस तरह कर सकता है,उसका जीते-जागते उदाहरण कवि बिरंचि महापात्र है। स्वामी विवेकानंद के शब्दों में अगर विज्ञान अध्यात्म से जुड़ जाती है तो विश्व के अखिल मानव जाति की रक्षा के साथ-साथ विश्व-बंधुत्व की भावना एक प्रतिनिधि आकांक्षा के रूप में उभर कर सामने आती है। 

 

Contents

Section 20
65
Section 21
66
Section 22
71
Section 23
73
Section 24
75
Section 25
83
Section 26
84
Section 27
85

Section 9
14
Section 10
15
Section 11
16
Section 12
19
Section 13
20
Section 14
23
Section 15
28
Section 16
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Section 17
50
Section 18
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Section 19
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Section 28
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Section 29
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Section 30
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Section 31
97
Section 32
100
Section 33
101
Section 34
105
Section 35
110
Section 36
113
Section 37
115
Copyright

Common terms and phrases

अणु अनंत अनेक अपने अब अबोध अर्जुन अर्थ अल्लाह आकाश आग आत्मा आप इस ईश्वर उग्रसेन उत्तर उनके उस उसके एक ओम और कर करता हूँ करते हैं करने के करो कवि कहते कहाँ कहीं का कामना काले कितने की तरह कुछ कृष्ण के बाद के भीतर के लिए को कोई खोजता गणित गया गीता चकाड़ोला की ज्यामिति चेतना जगन्नाथ जन्म जा जाता जाते हैं जीव जीवन जो तक तरफ तुम तुम्हारे तुम्हें तो था देता देती दो धर्म नहीं पाता नहीं है ने पर पास पृथ्वी प्रीति प्रेम फिर बुद्धि भक्त भगवान भी मंदिर मगर मत मन मनुष्य मर्म माँ मारो मुझे मेरा मेरी मेरे मैं क्या मोक्ष यह या ये राम रे लेकर वह वाले विज्ञान विश्व विश्वरूप वे वेदना शक्ति शरीर संसार सकता सत्य सब सभी समुद्र सागर साथ सारे सृष्टि से हम ही हुई हुए हूँ हृदय हे हे चकाड़ोला हैं हो होता है होने

About the author (2016)

 तालचेर के प्रख्यात कवि विरंचि महापात्र के अद्यतन कविता-संग्रह "चकाड़ोला की ज्यामिति" को ‘प्रबंध-काव्य’ की श्रेणी में गिना जाए तो इस कथन में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस संग्रह में संकलित 68 कविताएं चकाड़ोला पर ही आधारित हैं। 'चकाडोला’ अर्थात् चक्र जैसी गोल आँखों की पुतलियाँ। राजस्थानी भाषा में डोला शब्द की जगह बोलचाल की भाषा में 'डोरा' शब्द का प्रयोग होता है। उदाहरण के तौर पर पराए धन या पराई स्त्री पर डोरे डालने का अर्थ उनकी तरफ ललचाई दृष्टि से देखना, राजस्थानी भाषा की एक लोकोक्ति का अर्थ है।

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