Maharshi Agastya

Front Cover
Suruchi Prakashan - 24 pages

From inside the book

Common terms and phrases

अगस्त्य ने अग्नि अनेक अपना अपने आप आया आश्रम इच्छा इतना इन्द्र इन्द्रद्युम्न इल्वल इसी उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उसने उसे ऋषि अगस्त्य एक बार एवं और कमंडल कर करते करना करने कल्याण का कार्य कावेरी किया की की ओर कुछ के कारण के पास के लिए के साथ को गई गए गजेन्द्र गये जन्म जब जल जा जीवन तथा तमिल भाषा तुम तुरन्त तो था थी थे दिया देखकर देवताओं दोनों द्वारा नहीं नहुष नामक एक ने कहा पर परन्तु पर्वत पृथ्वी पृथ्वी पर प्रार्थना फिर बड़ी बड़े बहुत बात ब्रह्मा भगवान भारत भी भीम मन में महर्षि मुक्ति मुनि में में अगस्त्य मैं यह युद्ध रहा राक्षस राक्षसों राजा की राजा नहुष राम रावण लगा लगे लिया लोपामुद्रा वह वातापी वायु विंध्य विवाह विश्व विष्णु वे शिव श्राप संभव सभी समय समुद्र सहायता सूर्य से स्थान ही हुआ हुए हूँ हेतु है हैं हो होकर होगा

Bibliographic information