Maharshi VadvyasSuruchi Prakashan - 24 pages |
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अनेक अपना अपनी अपने अब अभिमन्यु अर्जुन आप आये आश्रम इन इस प्रकार उनका उनकी उनके उन्होंने उसके उसने उसे ऋषि एक दिन ऐसा और कथा कर करना करने का का स्मरण कारण किया किया है की कुछ कुन्ती कृष्ण के लिए के साथ कौरव कौरवों ने क्या गणेश गणेश जी गया गांधारी चाहते थे जनमेजय जब जाना जीवन जो ज्ञान तक तथा तरह तुम तुमने तुम्हें तो था थी थे थे और दण्ड दासराज दिया दुर्योधन देवव्रत दोनों धृतराष्ट्र नाम ने कहा पर पांडवों को पिता पुत्र पुत्रों बहुत बात ब्रह्मा भारत भी महर्षि वेदव्यास महर्षि व्यास ने महाभारत महाभारत की में मेरे मैं युद्ध युधिष्ठिर युधिष्ठिर ने रहे राजा ने राज्य लिखित लिया लेकिन वन में वर्ष वह विदुर विवाह वे वेद वेदव्यास वेदों वैशम्पायन व्यास जी ने शंख शर्त शान्तनु सत्यवती सभी समय से ही हुआ हुई हुए हुये हूँ है हैं हो गये होगा