Too Hi Bta

Front Cover
Booksclinic Publishing, Jan 10, 2020 - Poetry - 105 pages

"तू ही बता" में प्रेम, रहस्यवाद, और सामाजिक विषयों को लेकर 178 लघु कविताएँ हैं | लघु आकार की ये कविताएँ किसी ग़ज़ल के शे'र की तरह दिल पर छाप छोडती हैं | कवि की भाषा सरल और सरस है | उर्दू शब्दावली का भी विषयानुरूप प्रयोग हुआ है, लेकिन इससे कविताएँ बोझिल नहीं होती, यही इसकी विशेषता है |

 

Contents

Section 1
2
Section 2
9
Section 3
27
Section 4
35
Section 5
51
Section 6
61
Section 7
75
Section 8
89
Copyright

Common terms and phrases

अकादमी के सौजन्य अपना अपने आँसुओं आकर आज इबादत इशक़ इश्क़ के इसे उदासियों एक और कब कभी करना कविता कहीं किया किसी की की तरह कुछ कुबूल कर के लिए के सौजन्य से को कोई क्या क्यों खुद खुदा खुशबू गई गया ग़लती का अहसास चंद जब ज़रूरी जा जाता हूँ जाता है जाते हैं ज़िंदगी जो तुझको तुझे तू ही बता तेरी तेरे तो तो नहीं त्रेई था दिल दिल के दुनिया देह न मिला श्रेई नज़र नहीं नाम ने पर बड़ा बता श्रेई श्रेई बना भी भी है भीतर मगर मिले मुझे मुहब्बत में मेरे मैंने यही या यूं ये रह रहा है रही रिश्ते रूप लघु लू वक्त वफ़ा वे वो शब्द शायद श्रेई न श्रेई श्रेई श्रेई संग्रह सक सच साथ साहित्य अकादमी के हम हर हरियाणा साहित्य अकादमी ही बता श्रेई हुनर हूँ मैं है मेरी हैं हो होगा होता है होते

About the author (2020)

दिलबागसिंह विर्क की हिंदी और पंजाबी में अब तक 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जो कविता, कहानी और समीक्षा से संबंधित है, जिनमे चार पुस्तकों हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकुला के सौजन्य से प्रकाशित हैं | उनकी कहानी को वर्ष 2012 में विश्व सचिवालय मारीशस द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कहानी प्रतियोगिता में 100 डालर का सांत्वना पुरस्कार मिला | प्रतिलिपि की प्रतियोगिता में भी उनकी कहानियाँ चुनी गई | उन्हें अनेक संस्थाओं ने सम्मानित किया है और वे निरंतर साहित्य साधना में रत है | "तू ही बता" उनकी 13 वीं पुस्तक है,जो 178 लघु कविताओं को समेटे हुए है |

Bibliographic information