Too Hi Bta"तू ही बता" में प्रेम, रहस्यवाद, और सामाजिक विषयों को लेकर 178 लघु कविताएँ हैं | लघु आकार की ये कविताएँ किसी ग़ज़ल के शे'र की तरह दिल पर छाप छोडती हैं | कवि की भाषा सरल और सरस है | उर्दू शब्दावली का भी विषयानुरूप प्रयोग हुआ है, लेकिन इससे कविताएँ बोझिल नहीं होती, यही इसकी विशेषता है | |
Contents
Section 1 | 2 |
Section 2 | 9 |
Section 3 | 27 |
Section 4 | 35 |
Section 5 | 51 |
Section 6 | 61 |
Section 7 | 75 |
Section 8 | 89 |
Common terms and phrases
अकादमी के सौजन्य अपना अपने आँसुओं आकर आज इबादत इशक़ इश्क़ के इसे उदासियों एक और कब कभी करना कविता कहीं किया किसी की की तरह कुछ कुबूल कर के लिए के सौजन्य से को कोई क्या क्यों खुद खुदा खुशबू गई गया ग़लती का अहसास चंद जब ज़रूरी जा जाता हूँ जाता है जाते हैं ज़िंदगी जो तुझको तुझे तू ही बता तेरी तेरे तो तो नहीं त्रेई था दिल दिल के दुनिया देह न मिला श्रेई नज़र नहीं नाम ने पर बड़ा बता श्रेई श्रेई बना भी भी है भीतर मगर मिले मुझे मुहब्बत में मेरे मैंने यही या यूं ये रह रहा है रही रिश्ते रूप लघु लू वक्त वफ़ा वे वो शब्द शायद श्रेई न श्रेई श्रेई श्रेई संग्रह सक सच साथ साहित्य अकादमी के हम हर हरियाणा साहित्य अकादमी ही बता श्रेई हुनर हूँ मैं है मेरी हैं हो होगा होता है होते