अनकहे पहलू: Ankahe PahluBook Bazooka, Sep 7, 2017 - 91 pages आज के दिन हर माँ अपने बच्चों के लिए उनकी सलामती औ लम्बी उम्र के लिए ललही छठ का व्रत रहती है। वो देखना चाहती हैं अपने लाल को सदा सुखी और स्वस्थ अनेकों विधि-विधान अन्न जल त्याग छठ माई से उनके लिए करती हैं दुआएं। पर उन माताओं के दुख और पीड़ा का कोई आंकलन नहीं जिनके लाल कलेजे के टुकड़े छिन गये लापरवाही के शिकार हो गये। |
Contents
Section 1 | 23 |
Section 2 | 30 |
Section 3 | 31 |
Section 4 | 33 |
Section 5 | 54 |
Section 6 | 56 |
Section 7 | 71 |
Section 8 | 91 |
Common terms and phrases
अपनी अपने अब अब तक अयुज आज इक इस उन उनके उनको उनसे उन्हें उपेक्षा उस एक एकाकी जीवन और कभी कर करके करती करना करो कहीं का काम कि किन्तु किया है कोई किसी की बात करता कुछ के लिए कैसे को कोई क्या क्यों है खुद गया गर घर चली चाहिए जब जहाँ जिन्दगी जिसने जो डर तेरा तेरी तेरे तो तो क्या करता था थे दिया दिल में दिल्ली दुश्मन देख देखो देश न थी नहीं है ना ने पर पल पास पिंजर फिर बनकर बस बात करता हूँ बात है बातें बार भारत भाषा भी भूमि माली मिला मुझको मुझे मेरे मैं यमुना यह या याद यादों यूं ये रहता रहा रहे रहेंगे रोज लगता है वक्त वो शहर सपने सब सभी समाज सा सा है साथ सी से से ही हइ हम हमारी हर हिन्दी ही हुआ हैं हो गये हो जाता हों होना