Panchyagya Se Param Vaibhav

Front Cover
Suruchi Prakashan, Mar 9, 2021 - Antiques & Collectibles

   प्रस्तुत पुस्तक ‘पंचयज्ञ से परम वैभव’ के प्रकाशन के समय विश्व के अधिकांश देश भारत से प्राप्त ‘सर्वे सन्तु निरामयाः’ कामनायुक्त कोविड-वैक्सीन द्वारा मानव जाति की रक्षा के लिए भारत का जयघोष कर रहे हैं। साथ ही योग, नमस्कार एवं स्वच्छता जैसे भारतीय जीवन व्यवहार से अभिभूत विश्व के अनेक चिन्तक - विचारक भारत से उस ‘मूल जीवन मंत्र’ की अपेक्षा कर रहे हैं जो Struggle for Existance विचार को आधार मानकर विकसित हुई पाश्चात्य जीवन पद्धति से उत्पन्न ‘मनुष्य के मनुष्य से’ व ‘मनुष्य के पशु-पक्षियों एवं प्रकृति से’ संघर्ष के कारण उत्पन्न संकट, महामारी या प्राकृतिक आपदा की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना ही नगण्य कर दे एवं मानव सहित संपूर्ण सृष्टि के लिए कल्याणकारी हो।

   ‘संभवामि युगे-युगे’ के उद्घोष का संबंध, आवृत्ति की दृष्टि से, परम शक्ति से अधिक विचार के संबंध में सत्य प्रतीत होता है। भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा प्रस्थापित भारत के सनातन विचार की समय एवं परिस्थितियों के अनुकूल विवेचना समय-समय पर अनेक महापुरुषों ने की है। भौतिक विकास एवं ऐश्वर्य से मदमस्त पश्चिमी समाज के समक्ष स्वामी विवेकानन्द का आध्यात्मिक संदेश हो अथवा पूँजीवाद व साम्यवाद की निर्रथक बहस में उलझे समाज के समक्ष पं- दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन हो। इसी शृंखला में कोरोना के बाद के विश्वकाल में मनुष्य किस प्रकार अपने दैनिक जीवन के छोटे-छोटे कार्यों में भारत के मूल चिन्तन का समावेश कर, संपूर्ण सृष्टि के लिए कल्याणकारी जीवन पद्धति विकसित कर सकता है, इसका मंत्ररूप संकेत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी ने पुस्तक रूप में समाज के समक्ष रखा है। पुस्तक में बीजरूप में प्रकट इस भारतीय विचार की भविष्य में विवेचना होना, विस्तार होना, समाजशास्त्र एवं अध्ययन-अध्यापन के अन्यान्य संस्थानों, विश्वविद्यालयों व शोध केन्द्रों में इस विषय पर चर्चाएँ व शोध कार्य होना निश्चित है। ऐसी महत्त्वपूर्ण पुस्तक के प्रकाशन का गौरव सुरुचि प्रकाशन को प्राप्त हुआ, इसके लिए लेखक का आभार।

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह माननीय श्री भय्या जी जोशी ने हमारे निवेदन को स्वीकार करते हुए अपने व्यस्त कार्यक्रम में से समय निकाल कर, अत्यन्त अल्प समय में, आशीष रूप में, इस पुस्तक की प्रस्तावना लिखकर उपकृत किया, आपका कोटि-कोटि आभार। 

    पुस्तक की रचना-योजना में परिवार प्रबोधन गतिविधि के अखिल भारतीय सह-संयोजक श्री रवीन्द्र जोशी का विशेष मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली सह-प्रान्त कार्यवाह श्री अनिल गुप्ता एवं ‘पा×चजन्य’ के संपादक श्री हितेश शंकर ने पुस्तक के संपादन में विशेष सहयोग दिया। आप सभी का भी हृदय से आभार।

प्रस्तुत पुस्तक सुधी पाठकों के लिए समाधानपरक व प्रेरणा बन सके एवं पुस्तक में सुझाये गए पंचयज्ञों का दैनिक जीवन में समावेश कर भारत परम वैभव की ओर बढ़े तभी प्रकाशन की सार्थकता होगी---

फाल्गुण कृष्ण द्वितीय, 

विक्रमी संवत् 2077

 

Common terms and phrases

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