भारत निकला गाँव से: Bharat Nikla Gaon Seहम हैं इस मिट्टी के छौने हमें कुलांचें भरने दो, बंद गली के बंद दरबाजे वो घर तुम्हें मुबारक हो । । अंधकारमय हो जीवन जिस जाति धर्म के बंधन में, कितना भी सुन्दर हो, वो तुमको संसार मुबारक हो । जहाँ ठेकेदार धर्म के हों, और हो दलाल भगवंता के, नारी है उपभोग समझते, हो बिचार उस जनता के । ऐसे धर्म समाज को मैं, ठोकर मार अभी दूँगा, लेकिन बेटे की चाहत में, बेटी को विष नहीं दूँगा ।? |
Common terms and phrases
अधिकार अपनी अपने अब अमन अाँखों आग आना इक इन इश्क इस उन्हें उस एक और कई कभी कर कलम कहते हैं कहीं का किया की कुछ के के लिए कैसे को कोई कौन क्या क्यों खुद गए गया गयी गाँव घर चले चलो जब जब भी जरूरत जल जहाँ जाता जाती हैं जाते जीवन जो डर तक तन तब तुम तुमको तुम्हारा है तुम्हें तो था थे दिए दिन दिया दिल दी दुनियाँ दू देख देखो दो दोगे धरती धर्म न था नजर आएगा नहीं ना ने पता पर पे प्यार फिर बच्चे बना बस बात ही कहाँ भारत का भूखे मत मन माँ मानव मानवता मुझे में भी मेरा मेरी मेरे मैं यह यहाँ ये रहते रहे रात लिखते हैं लोग वही वाले वो शब्द शहर सच सब समाज साथ सूरज से हम हम हैं हमें हर ही कहाँ थी हूँ है हैं हो होता