चालीस के पार (Hindi Poetry) Challis ke paar (Hindi Sahitya)

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Bhartiya Sahitya Inc., Nov 28, 2024 - Foreign Language Study - 176 pages

कविताओं के इस विचारोत्तेजक संग्रह में, मीनू जी ने कुशलता से भावनाओं, विचारों और अनुभवों का ताना-बाना बुना है, जो मानवीय स्थिति से गहराई से मेल खाते हैं। जीवन की विविधताओं को शब्दों में पिरोने का एक अनोखा प्रयास है यह कविता संग्रह। इसमें खुशियों और गमों के रंग, आशाओं और निराशाओं के साये, प्यार और मोहब्बत के एहसास, जीवन की खूबसूरती और उसकी कठिनाइयों का वर्णन है। कविताओं के माध्यम से लेखक ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को छुआ है, जो पाठकों को अपने जीवन के अनुभवों से जोड़ता है। यह कविता संग्रह पाठकों को जीवन की गहराइयों में ले जाता है, जहाँ वे अपने एहसासों को पहचान सकते हैं और जीवन की सच्चाई को महसूस कर सकते हैं।

इस संग्रह की कविताएँ आपको उदास चाँद और खामोश रात के साथ जोड़ेंगी। यहाँ आपको जिन्दगी की खूबसूरती के साथ-साथ उसकी कमियों का भी एहसास होगा। आप महसूस करेंगे कि जीवन खूबसूरत है, लेकिन इसके साथ ही यहाँ अनकहे-अनसुने दर्द भी हैं। इस कविता संग्रह में तुम मेरे लिए, मैं तुममें बाकी रहूँगी, और वादा जैसी कविताओं को पढ़कर हम जीवन की विविधताओं को महसूस कर पाएँगे और उनसे जुड़े अपने महीन एहसासों को पहचान पाएँगे।

अदम्य ईमानदारी और भेद्यता के साथ, कवि प्यार, हानि, आशा और आत्म-खोज की जटिलताओं को उजागर करता है, और एक ऐसा काम तैयार करता है जो गहराई से व्यक्तिगत और सार्वभौमिक रूप से संबंधित है।

इस संग्रह की एक विशिष्ट विशेषता इसकी गीतात्मक भाषा है, जो सुलभ और गहन दोनों है। कवि द्वारा रूपक, कल्पना और प्रतीकवाद का उपयोग कविताओं में गहराई और परतें जोड़ता है, जो पाठक को उन्हें कई बार दोबारा देखने और पुनर्व्याख्या करने के लिए आमंत्रित करता है।

कुल मिलाकर, चालीस के पार यह एक ऐसी प्रस्तुति है जो आपको देखने, सुनने और समझने का एहसास कराएगी। यह एक ऐसी किताब है, जो आपको अपनी भावनाओं और पूर्वाग्रहों का सामना करने की चुनौती देगी और पढ़ने के बाद भी लंबे समय तक आपके दिमाग में बनी रहेगी।

दिनेश कुमार सिंह

9 सितंबर, 2024 - नवी मुंबई, भारत                                               

 

Contents

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Section 8
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Section 10
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Section 11
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Common terms and phrases

अपना अपनी अपने अब आँखों आज आते इस उस उसकी उसे एक बार और कब कभी कर करती करते करो कहाँ कहीं का का मौसम कि कितनी कितने किसी की कुछ के कैसे कोई क्या क्यों खुद को खुदा खूबसूरत है गए गया घर चाय जब जहाँ जाए जाओ कन्हैया जाता है जाती जाते हैं जाने जिन्दगी जी जीवन जैसे जो तक तुम तुम मेरी तुम्हारी तू तेरा तेरी तेरे तो था थी दिन दिल दुनिया देता है दो ने पता पर पल पे प्यार फिर बदल बस बहुत बाकी बात बादल बारिश बुरा भर भारत भी नहीं मगर मन माँ मिले मुझको मुझमें मुझे में मेरा मेरे मैं या याद यूँ ये रंग रह रहती रहा है रही रहे लगती है लड़की लम्हा लेना वक्त वही वाले वो शहर शिव सफर सब सा साथ सी से हम हर हाथ ही हुआ हुए हूँ हो होता है होती

About the author (2024)

मीनू यतिन

मीनू जी का जन्म इलाहाबाद (प्रयागराज ) उत्तर प्रदेश में एक संयुक्त परिवार में हुआ और यहीं पर उन्होंने अपनी पूरी शिक्षा भी ग्रहण की। इलाहाबाद विश्विद्यालय से उन्होंनें अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक की उपाधि ग्रहण की। उनको प्रारंभ से हिन्दी की कविताओं और कहानियों में रुचि रही। उन्हें उर्दू की गजलें और शेर भी बहुत पसंद हैं तथा अंग्रेजी साहित्य में भी गहरी रुचि है जो उनका विषय भी था। उन्हें प्रकृति एवं मानवीय संवेदनाओं के प्रति गहरा लगाव है एवं उनकी रचनाओं में भी इसकी झलक मिलती है, जिसे इन्होनें गहराई तक छूने का प्रयत्न भी किया है।

स्वभाव से अन्तर्मुखी होने के कारण ये अपनी कविताओं में स्वयं को कहीं कहीं व्यक्त करती भी नजर आती हैं। उनकी हिंदी और अंग्रेजी की रचनाएं स्टोरी बेरीज के आनलाइन मंच पर उपलब्ध हैं।

लेखन : कविताएं, गीत, गजल, कहानियाँ।

गतिविधियाँ एवं सम्मान :

स्टोरी-बेरीज स्टार ऑथर अवार्ड 2022

स्टोरी-बेरीज ऑथर ऑफ दी ईयर अवार्ड 2022

स्टोरी-बेरीज पोइट्री चैलेंज विनर ऑफ़ दी मंथ (सितंबर 2023)

सम्पर्क : meenuyyatin@gmail.com


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