Khoya Mann (Kavya Sangrah)The writer, retired government employee, has tried to present the feelings circling around the life through the language and situations familiar to the common man. Book is beautiful poetic depiction of life experiences, relationship and their impacts. लेखक, निवृत्त सरकारी कर्मचारी, ने जीवन के इर्द गर्द घुमते मानव मन की अन्तर्मन भावनाओं को जन मानस की भाषा में कविता स्वरुप प्रस्तुत करने की कोशिश की हैं। कुछ जीवन में घटी एवं कुछ सामयिक घटनाएं जो दिल को छूते रहें, उनका काव्य-रूपांतरण किया गया है। |
Contents
Section 1 | 4 |
Section 2 | 25 |
Section 3 | 32 |
Section 4 | 36 |
Section 5 | 37 |
Section 6 | 47 |
Section 7 | 56 |
Section 8 | 68 |
Section 9 | 70 |
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Common terms and phrases
अपना अपनी अपने अपनों अब आंखे आंसू आई आज आती आवाज इंतेज़ार इंसान एक एहसास कई कब कभी कर करता करती करते करो कहां का काम किसी की बात कुछ के को कोई कोने कौन क्या खामोश खुशियां खो गए खोया गई गुजर घर चलता चलती चांद छोटी जा जाता जाती जाते जाना जाने जाने को जिंदगी जिन्दगी जीता जीने जीवन तो था थी दर्द दिन दिल दिल को दुलारी दूर देख देखा देखो दो नहीं पड़ा पर पल पे प्यार फिर बंद बचपन बच्चे बन बन जाती बना बनी बरगद बहुत बार बिन बेटी बेटे भर भी मन की मन के मन को मां माया में मोह याद यादों की ये रहता रहती रहते रहा रही रहे रा रात राम लिए ले लेती लो वाले वो शहनाई सपने सब सा साड़ी साथ सी सुख सुशांत सिंह से हम हर पल हाथ ही हुआ है हैं हो होती होली