Aadhunik Hindi Sahitya Ka Itihas

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Lokbharti Prakashan, Sep 1, 2007 - 395 pages
आधुनिक युग इतनी तेजी से बदल रहा है और बदल रहा है कि साहित्य के बदलाव से भी उसे समझा जा सकता है । इस बदलाव को क्षिप्रतर बदलाव को साहित्य और इतिहास दोनों के संदर्भों में एक साथ पकड़ना ही इतिहास है । यह पकड़ तब तक विश्वसनीय नहीं हो सकती जब तक समसामयिक अखबारी साहित्य को श्रेष्ठ भविष्योन्मुखी साहित्य से अलगाया न जाय । प्रत्येक युग का आधुनिक काल ऐसे साहित्य से भरा रहता है जो साहित्येतिहास के दायरे में नहीं आता । किन्तु यह जरूरी नहीं है कि हम अपने इतिहास के लिए ग्रंथों का जो अनुक्रम प्रस्तुत करेंगे वह कल भी ठीक होगा, अपरिवर्तनीय होगा । इस नये संस्करण में कुछ पुरानी बातों को बदल दिया गया है और नये तथ्यों के आधार पर उनका नया अर्थापन किया गया है । इस संस्करण को अद्यतन बनाने के लिए बहुत सारे लेखकों, कवियों और रचनाकारों को भी सम्मिलित कर लिया गया है अब यह अद्यतन रूप में आपके सामने है ।

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About the author (2007)

हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास’ के रूप में हिंदी को एक अनूठा आलोचना-ग्रंथ देनेवाले बच्चन सिंह का जन्म जिला जौनपुर के मदवार गांव में हुआ था। शिक्षा काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में हुई। आलोचना के क्षेत्र में आपका योगदान इन पुस्तकों के रूप में उपलब्ध है : क्रांतिकारी कवि निराला, नया साहित्य, आलोचना की चुनौती, हिंदी नाटक, रीतिकालीन कवियों की प्रेम व्यंजना, बिहारी का नया मूल्यांकन, आलोचक और आलोचना, आधुनिक हिंदी आलोचना के बीज शब्द, साहित्य का समाजशास्त्र और रूपवाद, आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास, भारतीय और पाश्चात्य काव्यशास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन तथा हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास (समीक्षा)। कथाकार के रूप में आपने लहरें और कगार, सूतो व सूतपुत्रो वा (उपन्यास) तथा कई चेहरों के बाद (कहानी-संग्रह) की रचना की। प्रचारिणी पत्रिका के लगभग एक दशक तक संपादक रहे। निधन : 5 अप्रैल, 2008

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