Anuvad : Bhashayen Samasyayen: Bestseller Book by N.E. Vishwanatha Iyer: Anuvad : Bhashayen Samasyayen

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Prabhat Prakashan, Jan 1, 2009 - Self-Help - 292 pages
विश्व भर में अलग-अलग भाषाओं का होना विभिन्न क्षेत्रों, देशों एवं संस्कृतियों को अलगाता-सा है, जबकि अनुवाद के माध्यम से उनमें परध्सपर संबद्धता-सी प्रतीत होती है। यह एक जटिल कार्य है, जिसके लिए अनुवाद कला की सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक जानकारी अपेक्षित है।

इसी परिप्रेक्ष्य में, सफल अनुवादक तथा प्रसिद्ध भाषावैज्ञानिक डॉ. एन.ई. विश्वनाथ अय्यर द्वारा रचित ‘अनुवाद : भाषाएँ-समस्याएँ’ एक महत्त्वपूर्ण कृति है, जिसके प्रथम खंड में अनुवाद के मूल सिद्धांत, विश्व अवधारणा में अनुवाद की भूमिका, तुलनात्मक साहित्य और अनुवाद आदि के साथ-साथ अनुवाद की भाषिक-सांस्कृतिक समस्याएँ विवेचित हैं और द्वितीय खंड में भारतीय भाषाओं के परस्पर अनुवाद की समस्याओं का विशद निरूपण है। अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद की व्याकरणिक तथा संरचनात्मक समस्याओं का विस्तृत विश्लेषण अलग से किया गया है।

भारतीय भाषाओं के परस्पर अनुवाद पर सफलतापूर्वक लिखित यह कूति अनुवादकों, अनुवाद-शिक्षकों एवं तुलनात्मक साहित्य के अध्येताओं के लिए उपादेय है।

 

Contents

Section 1
5
Section 2
7
Section 3
9
Section 4
13
Section 5
25
Section 6
33
Section 7
39
Section 8
46
Section 11
64
Section 12
71
Section 13
79
Section 14
127
Section 15
218
Section 16
252
Section 17
267
Section 18

Section 9
56
Section 10
57

Common terms and phrases

अंतर अधिक अनुवाद के अनेक अन्य अपनी अपने अब अर्थ आदि इन इस इसका इसलिए उदाहरण उदाहरणार्थ उर्दू एवं ऐसे और कई कर करते हैं करना करने का अनुवाद का प्रयोग कारण किया जाता है की कुछ के अनुसार के लिए के विषय में केरल को कोई क्रिया क्षेत्र गया ग्रंथ जब जा जाती जैसे जो तथा तब तमिल तेलुगु तो था थे दिल्ली दो दोनों द्राविड नहीं नहीं है ने पड़ता है पर पहले प्रकार प्रत्यय प्रभाव प्रयुक्त प्रवृत्ति प्रसंग प्राकृत प्रेमचंद फ़ारसी बहुवचन बात बाद भारत भारतीय भाषाओं भाषा की भाषा में भाषाओं के भाषाओं में मलयालम के मलयालम में मुहावरे मूल में अनुवाद में भी यह यहाँ या ये रहा राम लिंग वह वाक्य विभिन्न विशेषण वे व्याकरण शब्द शब्दों के संरचना संस्कृत सकता है सकते हैं सामान्य साहित्य से हम हिंदी की हिंदी में ही हुए है कि हो होता है होती होते हैं

About the author (2009)

डॉ. एन. ई. विश्‍वनाथ अय्यर शिक्षा : एम. ए. (संस्कृत, मद्रास ; हिंदी, काशी), पी-एच.डी. (सागर)। कार्यक्षेत्र : केरल विश्‍वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में अध्यापन के तदुपरांत केरल विश्‍वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष। कोचीन विश्‍वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रथम आचार्य और विभागाध्यक्ष तथा भाषा संकाय के डीन। दक्षिण के अनेक विश्‍वविद्यालयों से विभिन्न प्रकार से सतत संबद्ध। कई अखिल भारतीय समितियों के सदस्य तथा राज्य स्तर और राष्‍ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित। लेखन : दक्षिण के प्रतिष्‍ठति ललित निबंधकार। विशेषत: अनुवाद में रुचि। मलयालम, तमिल, हिंदी और अंग्रेजी का परस्पर अनुवाद किया। अनुवाद के सौद्धांतिक एवं व्यावहारिक पक्ष के अध्यापन और चिंतन में वर्षों से लगे हैं। रचनाएँ : ‘शहर सो रहा है’, ‘उठता चाँद, डूबता सूरज’, ‘फूल और काँटे’ (ललित निबंध)। ‘जड़ें’, ‘आधी घड़ी’ (मलयालम उपन्यासों का अनुवाद)। तुकराम (अंग्रेजी-मलयालम अनुवाद)। ‘अनुवाद कला’, ‘अनुवाद : भाषाएँ-समस्याएँ’, ‘कार्यालय : विधि और पत्राचार’ आदि। ‘अनुवाद कला’ नामक पुस्तक विशेष लोकप्रिय।

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