Awadh Sanskriti Vishwakosh-1, Volume 1

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हिन्दी भाषा और सहिया के इतिहास में अवध का महत्त्वपूर्ण स्थान है। विद्वानों मे इसे ‘मध्य देश’ कहा है। लंदन विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागध्यक्ष डॉ. रूपर्ट स्नेल ने किसी प्रसंग में ठीक ही कहा था कि काशी विध्या कि नगरी है, किन्तु वहाँ लिखी-बोली जा रही खड़ीबोली हिन्दी पर जनपदीय बोलियों का बड़ा प्रभाव है। हिन्दी केन्द्रीय महानगर है, परंतु वहाँ की हिन्दी पंजाबीपन से प्रेरित है। मानक हिन्दी का रूप तो गंगा-यमुना के मैदान अर्थात अन्तर्वेद में प्राप्त होता है। यही कारण है कि हिन्दी के मांकिकरण का आंदोलन आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के माध्यम से यहीं से शुरू हुआ। यह उल्लेखनीय है कि द्विवेदी जी बैसवारा के निवासिथे और ‘सरस्वती’ पत्रिका इलाहाबाद से प्रकाशित होती थी। अवध क्षेत्र को उत्तर वैदिक काल में मध्यप्रदेश तथा ब्रह्मऋषि देश कहा जाता था। यहा रामायण के नायक राम कि लीलाभूमि है। महा जनपद काल के 16 जनपदों में 2 जनपद इसकी सीमाओं से जुड़े थे। यह क्षेत्र मौर्यकाल, गुप्तकाल और हर्षकाल में शक्ति एवं समृद्धि का क्षेत्र रहा है।
 

Contents

Section 1
9
Section 2
11
Section 3
16
Section 4
17
Section 5
26
Section 6
34
Section 7
49
Section 8
51
Section 19
207
Section 20
212
Section 21
240
Section 22
249
Section 23
253
Section 24
258
Section 25
262
Section 26
268

Section 9
62
Section 10
63
Section 11
66
Section 12
76
Section 13
151
Section 14
152
Section 15
162
Section 16
185
Section 17
200
Section 18
204
Section 27
274
Section 28
281
Section 29
283
Section 30
286
Section 31
287
Section 32
290
Section 33
292
Section 34
297
Section 35
299
Section 36
304

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Common terms and phrases

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