Katha Puratani Drishti Adhuniki: Katha Puratani Drishti Adhuniki: Bridging the Past and Present through Stories

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Prabhat Prakashan, Jan 1, 2004 - Self-Help - 172 pages
Mythological short stories set in contemporary context.
 

Contents

Section 1
7
Section 2
29
Section 3
41
Section 4
47
Section 5
51
Section 6
53
Section 7
65
Section 8
73
Section 13
99
Section 14
101
Section 15
113
Section 16
119
Section 17
129
Section 18
141
Section 19
149
Section 20
155

Section 9
75
Section 10
89
Section 11
91
Section 12
97
Section 21
161
Section 22
163
Section 23
171
Copyright

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Common terms and phrases

अनेक अपना अपनी अपने अब अर्जुन आज आप आया इंद्र इस उनके उन्हें उन्होंने उस उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक ओर और कर दिया करता करते करना करने कश्यप कहा का कि किया किसी की कुछ के पास के लिए के साथ को कोई क्या क्यों गई गए घर चाहिए जब जा जाता जीवन जो तक तुम तो था थी थे दी देश दो दोनों धन धर्म नगर नहीं नहीं है नाम नारद ने ने कहा पत्नी पर परंतु पहले पहुँचे पुत्र पूछा प्रजा फिर बहुत बात बार ब्राह्मण भी मन मनुष्य मुझे मुनि में मेरी मेरे मैं यज्ञ यदि यह या युद्ध रहा है रहे राजा ने राज्य रूप लगा लगे लिया ले लोग वह वहाँ वाराणसी विचार विष्णु वे शिव शुक्राचार्य सकता सब सभी समय सुनकर से स्वयं हम ही हुआ हुई हुए हूँ है है कि हैं हो गया होकर होती होने

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