Acharya Shukla : Pratinidhi NibandhaRajkamal Prakashan, Sep 1, 2000 - 194 pages |
Contents
Section 1 | 7 |
Section 2 | 11 |
Section 3 | 23 |
Section 4 | 30 |
Section 5 | 46 |
Section 6 | 55 |
Section 7 | 65 |
Section 8 | 77 |
Section 9 | 97 |
Section 10 | 135 |
Section 11 | 145 |
Section 12 | 164 |
Section 13 | 181 |
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Common terms and phrases
अधिक अपनी अपने अवधी आदि आनंद इत्यादि इस इस प्रकार इसी उनकी उनके उर्दू उस उसका उसकी उसके उसी उसे एक ऐसे कभी कर करके करता है करते हैं करना करने कर्म कवि कविता कहा का काम काव्य किया किसी की की ओर कुछ के कारण के लिए के साथ केवल को कोई क्या क्रोध गई गया चाहिए जब जा जाता है जाती जाने जिस जीवन जैसे जो तक तथा तब तो था थी थे दिखाई दुःख दृष्टि दोनों द्वारा नहीं नहीं है निबंध ने पर पहले प्रकार प्रति प्राकृत प्रेम बहुत बात भाव भावना भाषा भिन्न भी मन मनुष्य में भी यदि यह यहाँ या रहता है राम लेकर लोग वह वे शब्द श्रद्धा संबंध सकता है सकते सब समय सामने साहित्य सूरदास से सौंदर्य हम हमारे हिंदी हिंदी साहित्य ही हुआ हुई हुए हृदय है और है कि हैं हो होकर होगा होता है होती होते हैं होने