Ajane Melon Meinविधाओं के पारंपरिक बंधाव और बुनावट को मुँह बिराती, इस संग्रह की रचनाएँ जानी-पहचानी हिंदी की दुनिया में मानो एक किस्म का छापामार घुसपैठ हैं। यहाँ आधुनिक लोककथाएँ हैं, रूपक हैं, पलक झपकते में खत्म होती छोटी, और दूर तक एक तिलिस्मी भावलोक के धुँधलके जंगल में दौड़ती लंबी कहानियाँ हैं; संस्मरण हैं, व्यंग्य हैं और कविता के आभासी कैनवस पर उजास नज़ारों के भित्तिचित्र हैं। मगर भाव और विचार की इस मार्मिक रंगनगरी की दस दिशाओं व सौ दुनियाओं में एक साथ दीवाना भागे चलते रचनासंसार को आपस में जोड़ने वाला जो प्राथमिक अंतर्सूत्र है, वह है हमारे समय व समाज, और इस बीहड़ वक़्त के परतदार मन की एक अंतरंग जासूसी। अपनी कहन और भाषिक सरंचना में इस पुराने और रोज़ नई चोटों में बिसराये जाते जुबान हिंदी से दिलतोड़ फुसफुसाहटें बुनने की एक रागात्मक कोशिश। अजाने मेलों में समय व भाषा के गड्ड-मड्ड में इन सबकी मिली-जुली, हमारे मनों पर छूट गई कुछ सिनेमा-सी, खोज है। |