Vaiyakarana Siddhanta Kaumudi : 'Stri PratayaMotilal Banarsidass Publishe tradition. |
Common terms and phrases
अज अतः अर्थ में अर्थात् आदि आदेश इति इत्यादि से इत्व इस विग्रह में इसका उदाहरण है इसके इसलिये उसके उससे ऊङ् एवं एवम् का लोप होने कार किन्तु किम् की इत्संज्ञा की प्राप्ति की विवक्षा में के बाद के लिये के स्थान में को गया है ग्रहण ङीष् टाप् तो धातु से नहीं है नहीं होता है पक्ष में पद बनता है परिभाषा पाणिनि प्रकार प्रत्यय होता है प्रत्यय होने पर प्रयोग होता है प्रातिपदिक से बने में टाप् में रहने यस्याः इस विग्रह यहाँ रहने पर रूप रूपसिद्धि लोप होने पर वह वहाँ वा वा० व्याकरण शब्द बनता है शब्द से स्त्रीत्व शब्द से स्त्रीलिङ्ग शब्दों से समास होने पर सिद्ध होता है सूत्र में सूर्य से ङीप् से स्त्रीत्व की से स्त्रीलिङ्ग में स्त्री स्त्रीत्व की विवक्षा स्यात् ही हैं है और है कि हो जाता है होकर होने के कारण होने से