प्राणायाम: मन अनुशासन का श्वसन विज्ञान

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प्राणायाम अभ्यासक को अपनी जीवनशैली को फिर से उर्जावान बनाना होगा और उसे 'त्याग और सेवा' का मार्ग अपनाना होगा जो मानव-निर्माण व राष्ट्र-पुनर्निर्माण के आदर्श हैं। 

विवेकानन्द  केन्द्र द्वारा चलाए जाने वाले प्राणायाम पाठ्यक्रम का लक्ष्य न केवल अभ्यासक के स्वास्थ्य पर होता है परंतु सामाजिक हित भी हे।

 

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अनन्त अपनी अपने अभ्यास अवस्था आकाश आराम से व आवाज़ आसन इन इस प्रकार इससे इसी उसके उसी उसे एक ओर कर करता है करते करना करने कहते हैं का का अभ्यास कार्य की कुछ कुम्भक के बाद के भीतर के लिए केवल को बंद करें कोई क्या गति गया है चाहिए छोड़ें जगत् जब जा सकता है जाता है जाती जाते हैं जिस जो तक तब तुम तो दायीं नासिका से दूसरे दोनों द्वारा धीरे नहीं है नासिका को नासिका से श्वास पर प्रकार के प्राण प्राण की प्राणायाम के प्राप्त फिर बंद करें और बहुत बायीं बार भारत मध्यमा मन मानो मुद्रा में यदि यह या योग रामायण लेते लेना व गहराई से वशिष्ठ वह वे व्यक्ति शक्ति शरीर श्वास को संप्रदाय संसार सकते हैं सब सभी समय समस्त सम्पूर्ण सूर्य से व गहराई स्वामी विवेकानन्द हम ही है और है कि हैं होता है होती

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