Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 3Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... उसका यह रूप काव्य की व्यापक कथानक- रूढ़ियों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है । कविचन्द स्वयं भी एक पात्र के रूप में उपस्थित होता है ...
... उसका यह रूप काव्य की व्यापक कथानक- रूढ़ियों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है । कविचन्द स्वयं भी एक पात्र के रूप में उपस्थित होता है ...
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... उसका कहाँ तक वर्णन कर सकता है ? समर समद् भीमंग , मद्धि बड़वानल मद्धि बड़वानल राजौं । चाहुवान चालुक्क , रोस जुट्टे वल साजं ॥ • दल ...
... उसका कहाँ तक वर्णन कर सकता है ? समर समद् भीमंग , मद्धि बड़वानल मद्धि बड़वानल राजौं । चाहुवान चालुक्क , रोस जुट्टे वल साजं ॥ • दल ...
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... उसके नैत्र , कांति युक्त और पंक्ति बद्ध उसकी रदपंक्ति , अष्टमी के चंद्रमां ( अर्ध चंद्र ) के समान या कामदेव के विहार स्थल के समान उसका ...
... उसके नैत्र , कांति युक्त और पंक्ति बद्ध उसकी रदपंक्ति , अष्टमी के चंद्रमां ( अर्ध चंद्र ) के समान या कामदेव के विहार स्थल के समान उसका ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः इन्द्र इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक और कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० काम कामदेव कारण कि किया की के लिए के लिये के समान को कोई गई गया गये घर चंद चहुआन जल जाने जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देव दोनों दोहा द्वारा नहीं ने पज्जून पति पर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्रा० पा० १ प्राप्त बर बल बात बीर भर भी भीं० भीम मन में यह या युद्ध में रस राज राजस्थान राजा रावल रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शत्रु शत्रुओं शब्दार्थ शरीर शाह शिव श्र श्रेष्ठ संयोगिता सब सम समर सहित सामंत सामंतों सिर सु सूर सूर्य से सेना स्थान हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने