Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 3Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
From inside the book
Results 1-3 of 76
Page 10
... उसने अपनी प्रतिहारिन को राजा के पास भेज कर सूचना दी । रानी इच्छनी के महल में गया । जब बिजली चमकी तो राजा ने जिसमें से पहला तो चूक गया ...
... उसने अपनी प्रतिहारिन को राजा के पास भेज कर सूचना दी । रानी इच्छनी के महल में गया । जब बिजली चमकी तो राजा ने जिसमें से पहला तो चूक गया ...
Page 182
... उसने विजय के उपलक्ष में नक्कारे बजवाये और सुलतान के दल को लूट लिया । नक्कारों के नाद से उन्मत्त होकर उसने शत्रु के चमर छत्र भी छीन ...
... उसने विजय के उपलक्ष में नक्कारे बजवाये और सुलतान के दल को लूट लिया । नक्कारों के नाद से उन्मत्त होकर उसने शत्रु के चमर छत्र भी छीन ...
Page 284
Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa] Canda Baradāī. अर्थ : - - फिर उसने उत्तर की ओर मन किया और हेमाचल पर ध्यानावस्थित होगया । उसने सौ ( सात ) वर्ष तक अपने ...
Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa] Canda Baradāī. अर्थ : - - फिर उसने उत्तर की ओर मन किया और हेमाचल पर ध्यानावस्थित होगया । उसने सौ ( सात ) वर्ष तक अपने ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः इन्द्र इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक और कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० काम कामदेव कारण कि किया की के लिए के लिये के समान को कोई गई गया गये घर चंद चहुआन जल जाने जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देव दोनों दोहा द्वारा नहीं ने पज्जून पति पर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्रा० पा० १ प्राप्त बर बल बात बीर भर भी भीं० भीम मन में यह या युद्ध में रस राज राजस्थान राजा रावल रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शत्रु शत्रुओं शब्दार्थ शरीर शाह शिव श्र श्रेष्ठ संयोगिता सब सम समर सहित सामंत सामंतों सिर सु सूर सूर्य से सेना स्थान हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने