Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 3Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
From inside the book
Results 1-3 of 78
Page 99
... तक मनुष्य जागृत नहीं होता ( पुरुषार्थ को काम में नहीं लेता ) वहाँ तक कार्य की सिद्धि नहीं हो पाती यह बात पूर्व परम्परा से चली आ रही ...
... तक मनुष्य जागृत नहीं होता ( पुरुषार्थ को काम में नहीं लेता ) वहाँ तक कार्य की सिद्धि नहीं हो पाती यह बात पूर्व परम्परा से चली आ रही ...
Page 184
... तक रणथंभौर में ही रहने की मंत्रणा देकर दिल्ली पहुँचा ( यादव राजा को एक मास तक रणथंभौर में इसलिये का वहां तक , यादव के भूभाग पर आक्रमण ...
... तक रणथंभौर में ही रहने की मंत्रणा देकर दिल्ली पहुँचा ( यादव राजा को एक मास तक रणथंभौर में इसलिये का वहां तक , यादव के भूभाग पर आक्रमण ...
Page 520
... तक चन्द्र - सूर्य और गंगा की तरंग विद्यमान रहेंगी तब तक दुर्गा केदार के पौत्र - प्रपौत्रादि वंशज दुर्गा को दिए हुए ग्रामों का उपभोग ...
... तक चन्द्र - सूर्य और गंगा की तरंग विद्यमान रहेंगी तब तक दुर्गा केदार के पौत्र - प्रपौत्रादि वंशज दुर्गा को दिए हुए ग्रामों का उपभोग ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः इन्द्र इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक और कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० काम कामदेव कारण कि किया की के लिए के लिये के समान को कोई गई गया गये घर चंद चहुआन जल जाने जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देव दोनों दोहा द्वारा नहीं ने पज्जून पति पर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्रा० पा० १ प्राप्त बर बल बात बीर भर भी भीं० भीम मन में यह या युद्ध में रस राज राजस्थान राजा रावल रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शत्रु शत्रुओं शब्दार्थ शरीर शाह शिव श्र श्रेष्ठ संयोगिता सब सम समर सहित सामंत सामंतों सिर सु सूर सूर्य से सेना स्थान हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने