Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 3Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... था और वे ' हरि विचारि लभ्गौ चरण ' में विश्वास रखते थे । वे कलियुग ... था , उसकी सीमा कोई नहीं दबा सकता था । उसके हृदय में पृथ्वीराज का ...
... था और वे ' हरि विचारि लभ्गौ चरण ' में विश्वास रखते थे । वे कलियुग ... था , उसकी सीमा कोई नहीं दबा सकता था । उसके हृदय में पृथ्वीराज का ...
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... था ही । वह वीर था , उसके पास प्रबल सेना थी , फिर भी उसकी धृष्टता इतनी अधिक बढ़ गई थी कि पृथ्वीराज से अनेकों बार हार जाने और आता था ...
... था ही । वह वीर था , उसके पास प्रबल सेना थी , फिर भी उसकी धृष्टता इतनी अधिक बढ़ गई थी कि पृथ्वीराज से अनेकों बार हार जाने और आता था ...
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... था और दिल्लीश्वर आखेट में व्यस्त रहता था , फिर भी कन्नौज - पति जयचंद को भय बना रहता था कि कहीं शिकार खेलते हुए मुझ पर आक्रमण न कर दे ...
... था और दिल्लीश्वर आखेट में व्यस्त रहता था , फिर भी कन्नौज - पति जयचंद को भय बना रहता था कि कहीं शिकार खेलते हुए मुझ पर आक्रमण न कर दे ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः इन्द्र इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक और कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० काम कामदेव कारण कि किया की के लिए के लिये के समान को कोई गई गया गये घर चंद चहुआन जल जाने जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देव दोनों दोहा द्वारा नहीं ने पज्जून पति पर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्रा० पा० १ प्राप्त बर बल बात बीर भर भी भीं० भीम मन में यह या युद्ध में रस राज राजस्थान राजा रावल रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शत्रु शत्रुओं शब्दार्थ शरीर शाह शिव श्र श्रेष्ठ संयोगिता सब सम समर सहित सामंत सामंतों सिर सु सूर सूर्य से सेना स्थान हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने