Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 3Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... बल झार = ज्वाला | झरन्निय = झड़ती हुई | पत्थरों । वरख = वर्षा । उच्चरहि = कहें । हरख = हर्ष से । 1 अगन्निय = अग्नि । कबहुं - कभी । धुम = घल ...
... बल झार = ज्वाला | झरन्निय = झड़ती हुई | पत्थरों । वरख = वर्षा । उच्चरहि = कहें । हरख = हर्ष से । 1 अगन्निय = अग्नि । कबहुं - कभी । धुम = घल ...
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... बल भग्गा भग्गौ न बल । आसीस भंजि ढिल्लीपुरां ; तव लग्गों मेंबात खल || ३२ ॥ ग्रा ० प्रा ० १ भीं ० ( ख ) । २ प ० । शब्दार्थः- | नन = नहीं ...
... बल भग्गा भग्गौ न बल । आसीस भंजि ढिल्लीपुरां ; तव लग्गों मेंबात खल || ३२ ॥ ग्रा ० प्रा ० १ भीं ० ( ख ) । २ प ० । शब्दार्थः- | नन = नहीं ...
Page 350
... बल | श्रमर = रावल | | । समर - विक्रम के भ्राता का नाम । श्रमर = देवता | मुंकि = छोड़ दी । सा वह ( उस शक्ति को ) | नई = पुनः ( नये तौर से ) | पत्त ...
... बल | श्रमर = रावल | | । समर - विक्रम के भ्राता का नाम । श्रमर = देवता | मुंकि = छोड़ दी । सा वह ( उस शक्ति को ) | नई = पुनः ( नये तौर से ) | पत्त ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः इन्द्र इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक और कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० काम कामदेव कारण कि किया की के लिए के लिये के समान को कोई गई गया गये घर चंद चहुआन जल जाने जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देव दोनों दोहा द्वारा नहीं ने पज्जून पति पर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्रा० पा० १ प्राप्त बर बल बात बीर भर भी भीं० भीम मन में यह या युद्ध में रस राज राजस्थान राजा रावल रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शत्रु शत्रुओं शब्दार्थ शरीर शाह शिव श्र श्रेष्ठ संयोगिता सब सम समर सहित सामंत सामंतों सिर सु सूर सूर्य से सेना स्थान हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने