Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 3Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... शरीर रूपी पिंजड़े एक समैं सुग्रीव , त्रीय रख्खी न अप्पु वल । इक्क समय द्र ज्ोध , कग्नु रख्यौ न जित्ति खल ॥ एक समय श्रीराम , सीथ वनवास ...
... शरीर रूपी पिंजड़े एक समैं सुग्रीव , त्रीय रख्खी न अप्पु वल । इक्क समय द्र ज्ोध , कग्नु रख्यौ न जित्ति खल ॥ एक समय श्रीराम , सीथ वनवास ...
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... शरीर पर प्राप्त कभी पर - पुरुष का नाम तक नहीं जानती थी उसको छोड़ कर नल ने भूल की । इस लिए सामंतों को ही किस बात का दोष दिया जा सकता है ...
... शरीर पर प्राप्त कभी पर - पुरुष का नाम तक नहीं जानती थी उसको छोड़ कर नल ने भूल की । इस लिए सामंतों को ही किस बात का दोष दिया जा सकता है ...
Page 443
... शरीर । जोगहि - योग को । प्रहै- पकड़े | मोह = ममत्व | समान = बराबर | 1 अर्थ : —साधारण प्राणी का शरीर स्थित मन सुख - दुख , योग और ममत्व की ओर ...
... शरीर । जोगहि - योग को । प्रहै- पकड़े | मोह = ममत्व | समान = बराबर | 1 अर्थ : —साधारण प्राणी का शरीर स्थित मन सुख - दुख , योग और ममत्व की ओर ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः इन्द्र इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक और कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० काम कामदेव कारण कि किया की के लिए के लिये के समान को कोई गई गया गये घर चंद चहुआन जल जाने जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देव दोनों दोहा द्वारा नहीं ने पज्जून पति पर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्रा० पा० १ प्राप्त बर बल बात बीर भर भी भीं० भीम मन में यह या युद्ध में रस राज राजस्थान राजा रावल रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शत्रु शत्रुओं शब्दार्थ शरीर शाह शिव श्र श्रेष्ठ संयोगिता सब सम समर सहित सामंत सामंतों सिर सु सूर सूर्य से सेना स्थान हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने