Pṛthvīrāja rāsō. Sampādaka: Kavirāva Mōhanasiṃha. [Prathama samskaraṇa], Volume 3Sāhitya Saṃstthāna, 1954 |
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... सामंत नद । इच्छिनि अंचल गंठि जुरि , जनु इन्द्रानी इंद्र ॥ ४६ ॥ शब्दार्थः – लोइ = लोग , जनता । सपत्ते = पहुँचे । जह = जहाँ । सामंत ...
... सामंत नद । इच्छिनि अंचल गंठि जुरि , जनु इन्द्रानी इंद्र ॥ ४६ ॥ शब्दार्थः – लोइ = लोग , जनता । सपत्ते = पहुँचे । जह = जहाँ । सामंत ...
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... सामंतों को परखने ( चुपके ) दिल्ली पहुँचा और रानी पुण्डीरनी के संयोग सुख और स्नेह में बँध गया । इधर बहादुर सामंत अपने स्वामी का वहाँ ...
... सामंतों को परखने ( चुपके ) दिल्ली पहुँचा और रानी पुण्डीरनी के संयोग सुख और स्नेह में बँध गया । इधर बहादुर सामंत अपने स्वामी का वहाँ ...
Page 495
... सामंत , चढ्यौ चहुआन पान भर । अटल अवनि अभंग , सज्जि सक कन्ह नाह नर || गरुडा राउ गोयंद , असताइय ईस बर । चढ़िय निडर रट्ठोर , सलख सामंत सूर ...
... सामंत , चढ्यौ चहुआन पान भर । अटल अवनि अभंग , सज्जि सक कन्ह नाह नर || गरुडा राउ गोयंद , असताइय ईस बर । चढ़िय निडर रट्ठोर , सलख सामंत सूर ...
Common terms and phrases
अपनी अपने अर्थ अर्थः इन्द्र इस प्रकार उस उस समय उसका उसकी उसके उसने उसी उसे एक और कर करके करता करते करना करने करि कवि कवित्त कहा का का० काम कामदेव कारण कि किया की के लिए के लिये के समान को कोई गई गया गये घर चंद चहुआन जल जाने जो तथा तब तुल्य तो था थी थे दल दिन दिया दिल्ली देव दोनों दोहा द्वारा नहीं ने पज्जून पति पर पुत्र पृथ्वी पृथ्वीराज के प्रा० पा० १ प्राप्त बर बल बात बीर भर भी भीं० भीम मन में यह या युद्ध में रस राज राजस्थान राजा रावल रूप लगा लगी लगे लिया वर वह वाला वाले विशेष वीर वीरों वे शत्रु शत्रुओं शब्दार्थ शरीर शाह शिव श्र श्रेष्ठ संयोगिता सब सम समर सहित सामंत सामंतों सिर सु सूर सूर्य से सेना स्थान हाथ हाथी ही हुआ हुई हुए हे है हैं हो होकर होने