Tulsi-Kavye Main Sahitayik Abhipray

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Lokbharti Prakashan
 

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प्रयोगबाहुल्य के कारण
34
पौराणिक अभिप्रायों का प्रयोग और तुलसी की रचना दृष्टि
86
आकाशवाणी
112
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अधिक अध्ययन अनेक अन्य अपनी अपने अभिप्राय अभिप्राय के अभिप्रायों का अयोध्या अर्थ अलंकार आदि इन इस इस प्रकार इसका इसके इसमें इसी उत्तरकाण्ड उनकी उनके उन्होंने उल्लेख उसे एक एवं ऐसा ऐसे कथा कथाभिप्राय कर करने कवि कवियों कविसमय कहा का का प्रयोग का वर्णन काम काव्य में किन्तु किया है किसी की कुछ के कारण के लिए को कोई गयी गये ग्रहण चन्द्रमा जाता है जाती जो डॉ० तक तथा तुलसी ने तो था दिया दृष्टि से दो दोनों द्वारा नहीं नहीं है पर परम्परा पार्वती पुराण पौराणिक प्रसंग प्रस्तुत बन बहुत महाकाव्य मात्र मानस में भी यह यहाँ या ये योजना रचना रचनाओं में रस रा० राम रामचरितमानस रामायण रावण रूप रूप में रूप से लक्ष्मण वर्णनात्मक वह विशेष वे शिव संस्कृत सभी सम्बन्ध साहित्य में सीता से स्थिति हम हिन्दी ही हुआ है है और है कि हैं हो होता है होती होते होना होने

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