Vrittaratnakara of Sri BhattKedar VrichitMotilal Banarsidass Publishe task, an appropriate method of scriptural analysis is developed. This |
Contents
Section 1 | 1 |
Section 2 | 23 |
Section 3 | 32 |
Section 4 | 72 |
Section 5 | 81 |
Section 6 | 113 |
Section 7 | 157 |
Section 8 | 161 |
Section 9 | 170 |
Section 10 | 171 |
Section 11 | 187 |
Section 12 | 206 |
Section 13 | 210 |
Common terms and phrases
१० ११ १२ १३ १५ १६ अथ अर्थात् इति इन इसके उदाहरण उदाहरणान्तरं यथा उसे एक गुरु एव और और एक कहा का किया की के प्रत्येक चरण को गया है गु गुरु हो चतुर्थ चरणों में चार चाहिये छन्दः छन्द कहते हैं छन्दों ज र जगण जाता है जिस पद्य के तगण तथा तदा तद् तमं तीन तु तृतीय तो दो द्वितीय न न नगण नहीं नाम पद्य के प्रत्येक पाद पादान्ते पृ० प्रतिचरणं प्रत्येक चरण में प्रथम प्रस्तार भगण भवति भी भेद मगण मात्रा में क्रम से यगण यतिः यदि यस्य यह रगण रूप लक्षण लक्षयति लगु लघु व० स० वर्ण वा वाले विषम वृत्तं शेषः श्रथ सं० टी० संख्या सगण सम संस्कृत सा सात से स्यात् हिं० टी० ही है कि हो होता होती है ऽ ऽ ऽ ऽऽ