Charaksamhita Mahrishina Bhagvataniveshen Pranita Mahamunina Charken Pratisanskrita Purvo Bhag |
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""आयुर्वेदम् इति उच्चते।""👍👌👌
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Common terms and phrases
अतः अथवा अधिक अध्याय में अन्य अपने अर्थात् आदि आदि के इति इत्यादि इन इस प्रकार इसी उत्पन्न उस उसे एक एवं ऐसा औषध कफ कर करके करता है करते करना चाहिये करने करनेवाले करे कर्म कहते हैं कहा है का कारण काल किया की के कारण के गुण के लक्षण के लिये को गया है गये ग्रहण चिकित्सा जब जल जाती जाय जैसे जो तथा तीन तु तो दिन दो दोनों दोष दोषों द्रव्य द्रव्यों द्वारा नहीं नाम ने पर परन्तु पित्त पुरुष प्रकार का प्रयोग भवन्ति भेद मन मात्रा में कहा में भी यदि यह या ये रक्त रस रूप रोग रोगी रोगों वर्ण वह वा वात वायु विषय वैद्य शब्द शरीर श्रादि सकता सकते समय सम्पूर्ण सुश्रुत सेवन स्नेह स्वेद ही हुआ हुई हुए है और है कि हो हो जाता है हों होता है होती होते हैं होना होने से