Pustakalaya Aur Samaj: Bestseller Book by Pandeya S.K. Sharma: Pustakalaya Aur Samaj

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Prabhat Prakashan, Jan 1, 1998 - Self-Help - 204 pages
पुस्तकालय और समाज ' ऐसा विषय है जिस पर हिंदी भाषा में कोई खास साहित्य उपलब्ध नहीं है । इसके विपरीत अंग्रेजी में इस विषय पर विपुल साहित्य लिखा गया है । इसका कारण यह प्रतीत होता है कि इंग्लैंड तथा अमरीका में पाठकों और पुस्तकालयों के बीच बहुत पहले नैकट्य स्थापित हो चुका था । आजादी के बाद हमारे देश में भी सार्वजनिक पुस्तकालयों के प्रति जागरूकता आई । पुस्तकालय और ' समाज ' तथा ' समाज ' और पुस्तकालय एक-दूसरे केनिकट आने लगे । आज पुस्तकालय हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है और पुस्तकालयों से हमारा संबंध अधिक गहरा हुआ है । प्रस्तुत पुस्तक में इस संबंध के विविध आयामों का विश्लेषण किया गया है, और उन उपायों की व्याख्या की गई है जिनको अपनाकर पुस्तकालय लोगों के और निकट आ सकते हैं ।

हमारा विश्वास है कि यह पुस्तक सार्वजनिक पुस्तकालयों, पुस्तकालयाध्यक्षों, पुस्तकालय विज्ञान के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों तथा सामान्य पाठक यानी हम सबके लिए उपयोगी सिद्ध होगी ।

 

Selected pages

Contents

Section 1
5
Section 2
7
Section 3
16
Section 4
24
Section 5
46
Section 6
57
Section 7
83
Section 8
91
Section 11
135
Section 12
138
Section 13
139
Section 14
149
Section 15
173
Section 16
188
Section 17
194
Section 18
200

Section 9
125
Section 10
134

Common terms and phrases

अतः अधिक अधिकार अनुदान अन्य अपनी अपने आंध्र प्रदेश आदि आवश्यकता इन इस इसका इसके उद्देश्य उपयोग उपलब्ध एंड एक एक्ट एवं एस-सी ऑफ और कर करता है करते करना करने कलकत्ता का कार्य कार्यक्रम किया किसी की की स्थापना कुछ के अंतर्गत के रूप में के लिए केंद्रीय केरल को गई गया चाहिए जा सकता है जाता है जिला जो डॉ तक तथा तमिलनाडु तो था थे दिया देश दो द्वारा धन नहीं नाम निम्नलिखित ने पब्लिक पर परंतु पहले पाठक पाठकों पुस्तक पुस्तकालय अधिनियम पुस्तकालय संघ पुस्तकालयाध्यक्ष पुस्तकालयों के पुस्तकों प्रकार प्रत्येक प्राप्त प्रावधान बाद भवन भारत भी में पुस्तकालय यह या यूनाइटेड किंगडम यूनेस्को रंगनाथन राज्य राष्ट्रीय लाइब्रेरी लोगों वह विकास विज्ञान विभाग विभिन्न विशेष विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग शिक्षा सदस्य सन् समय समाज समिति सहयोग सहायता साथ सार्वजनिक पुस्तकालय सूचना सूत्र से संबंधित सेवा स्तर ही है कि है तथा हैं हो होता है होती होते होना

About the author (1998)

डॉ. पांडेय एस. के. शर्गा पुस्तकालयाध्यक्ष तथा पुस्तकालय विज्ञान के अध्यापक, दोनों रूपों में चर्चित तथा लोकप्रिय रहे हैं । डॉ. पांडेय ने पुस्तकालय विज्ञान की शिक्षा पटना ( सी. लिब. एस - सी.), दिल्ली विश्‍‍वविद्यालय ( बी. ल‌िब. एस - सी.) तथा पंजाब विश्‍व - विद्यालय ( एम. लिब. एस- सी. एवं पी- एच. डी.) से प्राप्‍त की । इसके अतिरिक्‍त राँची विश्‍‍वविद्यालय से एम. ए. एवं पी- एच. डी. ( हिंदी) की उपाध‌ियाँ प्राप्‍त कीं। अपने तीन दशको से आध‌िक के सेवाकाल में डॉ. पांडेय की प्रथम नियुक्‍त‌ि सन् 1970 में हिंदू कॉलेज, रोहतक में पुस्तकालयाध्यक्ष के पद पर हुई । इसके उपरांत देश के विभ‌िन्न भागों में वरिष्‍ठ पदों पर कार्य किया, जिनमें प्रमुख हैं - राजस्थान विश्‍‍वविद्यालय ( लेक्चरर), आगरा विश्‍वविद्यालय ( रीडर एवं हेड), राजा राममोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्‍ठान ( फील्ड ऑफिसर), योजना आयोग ( मुख्य पुस्तकालयाधाक्ष एवं प्रलेखन अध‌िकारी), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ( प्रोफेसर वेतनमान में पुस्तकालयाध्यक्ष) तथा विश्‍‍वविद्यालय अनुदान आयोग ( यू. जी. सी.) ( प्रमुख/वरिष्‍ठ पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी) । वर्ष 2004 में यू जी. सी. से सेवानिवृत्ति के पश्‍चात् कुछ समय तक नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी ( नेहू, शिलांग) में प्रोफेसर के वेतनमान में पुस्तकालय विज्ञान में अध्यापन किया । डॉ. पांडेय की अंग्रेजो तथा हिंदी भाषाओं में अनेक पुस्तकें प्रकाशित होकर बहुचर्चित व प्रशंसित रही हैं । संप्रति डॉ पांडेय अंग्रेजी भाषा में पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विश्‍वकोश तैयार करने में जुटे हैं जिस पर वे लगभग एक दशक से कार्य कर रहे हैं ।

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