Aachara Shastra Ke Mool SiddhantaMotilal Banarsidass Publishe |
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अतः अधिक अनुचित अपनी अपने अभिप्राय आचारशास्त्र आत्मा आदर्श आदि आधार इच्छा इन इस इस तरह इसका इसके इसी ईश्वर उचित उत्पन्न उस उसका उसके उसे एक एवं ऐसा कर करता है करते हैं करना चाहिए करने कर्त्तव्य कर्म कर्म को कर्मों के कहते कहना है कहा का किसी की प्राप्ति कुछ के अनुसार के लिए केवल को कोई क्या क्योंकि चेतना जब जा सकता जाता है जाती जीवन के ज्ञान तथा दूसरे दोनों द्वारा धर्म नहीं है ने नैतिक नियम नैतिक निर्णय नैतिकता पर पालन प्रकार प्रत्येक प्रयोजन बाह्य बुद्धि भावना भी मत मनुष्य मानव मूल्य में यदि यह या ये रूप में रूप से लक्ष्य वह विकास विचार विषय वे व्यक्ति शुभ संकल्प सकता है सभी समाज सम्बन्ध सम्भव सर्वोच्च साधन सामाजिक सामान्य सिद्धान्त सुख सुख की सुखवाद से से ही हम हमें ही है और है कि है तथा है तो होता है होती होते हैं