Phaladeepika--Bhavarthabodhini

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Motilal Banarsidass Publishe, 2001
 

Contents

Section 1
1
Section 2
3
Section 3
5
Section 4
30
Section 5
54
Section 6
73
Section 7
101
Section 8
109
Section 17
285
Section 18
322
Section 19
335
Section 20
346
Section 21
347
Section 22
451
Section 23
486
Section 24
500

Section 9
163
Section 10
180
Section 11
206
Section 12
217
Section 13
224
Section 14
231
Section 15
250
Section 16
265
Section 25
536
Section 26
561
Section 27
562
Section 28
582
Section 29
583
Section 30
600
Section 31
617
Section 32
668

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Common terms and phrases

१० ११ १२ अंश अधिक अन्तर्दशा अन्य अपनी अपने अब अर्थात् आदि इन इस उस ऊपर एक ऐसा कन्या कर करता है करना करने कर्क का फल का विचार का स्वामी किन्तु किसी की दशा की महादशा के के कारण केतु को कोई गया है गोचर ग्रह ग्रहों घर में चन्द्र चन्द्रमा चाहिये जन्म जब जातक जाता है जिस जो तक तथा तो जातक दोनों धन नक्षत्र नवांश नहीं पर पाप प्रकार प्राप्त फल बताया बल बलवान् बहुत बुध बृहस्पति भाग भाव भी मंगल मालिक मृत्यु में हो तो मेष यदि यह या योग राशि में राहु रोग लग्न लग्न से लग्नेश वर्ग वर्ष वह वाला व्यक्ति शत्रु शनि शुक्र शुभ श्लोक समय सम्बन्ध साथ सुख सूर्य से स्त्री स्थान ही हुआ है और है कि है तो हो और हों होगा होता है होती होते हैं

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