Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha(Bangla bhasha)Yogendra Pratāpa Siṃha, Hariścandra Miśra भारतीय संस्कृति के विभाजन को केन्द्र में रखते हुए भारतीय भाषाओं एवं राज्यों को पृथक्-पृथक् खंडों में बाँटने वाले विदेशी राजतन्त्रों के कारण भारत बराबर टूटते हुए भी, अपने सांस्कृतिक सन्दर्भों के कारण, अब भी एक सूत्रा में बँधा है। एकता के सूत्र में बाँधने वाले सन्दर्भों में राम, कृष्ण, शिव आदि के सन्दर्भ अक्षय हैं। भारतीय संस्कृति अपने आदिकाल से ही राममयी लोकमयता की पारस्परिक उदारता से जुड़ी सम्पूर्ण देश, उसके विविध प्रदेशों एवं उनकी लोक व्यवहार की भाषाओं में लोकाचरण एवं सम्बद्ध क्रियाकलापों से अनिवार्यतः हजारों-हजारों वर्षों से एकमेव रही है। बंगाल में रामकथा ‘लोक साहित्य’ पुस्तक के ‘ग्राम्य साहित्य’ प्रकरण में रवीन्द्रनाथ अपनी बात प्रस्तुत करते हैंµ”बंगला ग्राम्य गान में हर-गौरी एवं राधा-कृष्ण की कथा के अलावा सीता-राम एवं राम-रावण की कथा भी पायी जाती है किन्तु तुलना की दृष्टि से अल्प है।...बंगाल की मिट्टी में उस रामायण की कथा हर-गौरी और राधा-कृष्ण की कथा के ऊपर सिर नहीं उठा पायी, वह हमारे प्रदेश का दुर्भाग्य है। जिसने राम को युद्ध-क्षेत्र में एवं कर्म-क्षेत्र में देवता का आदर्श माना है, उसके पौरुष, कर्तव्यनिष्ठा एवं धर्मपरकता का आदर्श हमारी अपेक्षा उच्चतर है’ |
Contents
Section 1 | 3 |
Section 2 | 5 |
Section 3 | 9 |
Section 4 | 11 |
Section 5 | 19 |
Section 6 | 36 |
Section 7 | 53 |
Section 8 | 64 |
Section 9 | 73 |
Section 10 | 83 |
Section 11 | 88 |
Section 12 | 97 |
Section 13 | 104 |
Section 14 | 113 |
Section 15 | 126 |
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Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha(Awdhi Bhasha) योगेन्द्र प्रताप सिंह,सूर्यप्रसाद दीक्षित Limited preview - 2015 |
Bhartiya Bhashaon Mein Ramkatha (aaranyak) Yogendra Pratāpa Siṃha,Arjunadāsa Kesarī Limited preview - 2016 |
Common terms and phrases
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