Prācīna Bhāratīya pratimā-vijñāna evaṃ mūrti-kalāOn ancient Hindu sculpture. |
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अधिक अन्य अनेक अपने अंकन आकृति आदि इन इस इसके ई० उत्कीर्ण उनका उनके उसके ऊपर एवं ओर कमल कर करते करने का का उल्लेख काल किया गया है किया है किये की कुछ कुषाण के अनुसार के रूप में के साथ को गई गये ग्र गान्धार चार जा जिसमें तक तथा तो था थी थे द्वारा दाहिना दाहिने दिया देवता देवी दो दोनों धारण नहीं निर्मित नीचे ने पर परम्परा प्रकार प्रतिमा प्रतिमा में प्रतिमाओं प्रदशित किया गया पार्वती पास पुराण बिहार बुद्ध भाग भारत भारतीय भी मधुरा महोदय मुति मे में प्रदशित में भी यक्ष यह या युग रा राई लिये वराह वे शती शरीर शिल्प शिव शैली समय स्थित स्पष्ट सा सारनाथ सिर सूतियों सूर्य से हाथ में ही हुआ है हुई हुए हुये है और है कि है किन्तु है जो है है हैं हो होता है होती होने