Prācīna Bhāratīya pratimā-vijñāna evaṃ mūrti-kalā

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Viśvavidyālaya Prakāśana, 1998 - Hindu sculpture - 415 pages

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अंकन अधिक अनेक अन्य अपने आकृति आदि इन इस ई० उत्कीर्ण उनके उसके ऊपर एवं ओर और कमल कर करते करने कला में का का निर्माण कार्तिकेय काल किन्तु किया गया है किया जाता किया है किये की कुछ कुषाण के के अनुसार के रूप में के साथ को गई गये गान्धार चक्र जाता है जिसमें जो तक तथा था थी थे दाहिना दाहिने दिया देवता देवी दो दोनों द्वारा धर्म धारण नहीं ने पर परम्परा पार्वती प्रकार प्रतिमा प्रतिमा में प्रतिमाएँ प्रतिमाओं प्रदर्शन प्रदर्शित किया गया बिहार बुद्ध बोधगया ब्रह्मा भाग भारत भारतीय भी मथुरा महोदय मुद्रा में मूर्ति मूर्तियाँ मूर्तियों में में भी यक्ष यह युग लिये वराह विष्णु वे शती शरीर शिल्प शिव शैली संग्रहालय समय सारनाथ सिर सूर्य से प्राप्त स्थित स्पष्ट हाथ में हाथों में ही हुआ है हुई हुये है और है कि हैं हो होता है होती होने

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