Pracheen Bharat Me Rasayan Ka Vikas |
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अग्नि अथवा अध्याय अनेक आग आदि आयुर्वेद इन इस प्रकार इसका इसके इसमें इसी इसे उत्पन्न उल्लेख है उसे ऊपर एक एवं ऐसा और कर करके करने करे कहते हैं कहा का का उल्लेख का प्रयोग किया की कुछ के रस के लिए के समान के साथ को गन्धक गया है गये गोबर ग्रन्थ घी चरक चाँदी चाहिए चि० चूर्ण जब जल जा जाता है जाती जाय जो तक तथा तीन तु तैयार तो था थे दिन दिया दूध दे दो दोनों द्वारा नमक नहीं नागार्जुन नीबू ने पर पानी पारा पारे के पृथिवी प्रकार के प्राप्त फिर बना भस्म भाग भी मिट्टी मिलाकर मूषा में यंत्र यदि यह या ये योग रंग रस लाल ले लोह लोहे वह वा विधि शब्द शुद्ध सू० से सोना सोने हि ही हुआ हुए है कि हो होता है होती