Pratyabhigyahradayam Hindi Anuvad, Vistrat Upodaghat Aur Tippani Sahit)

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Motilal Banarsidass Publishe, 2007 - Kashmir Śaivism - 166 pages
On the fundamentals of Trika philosophy of Kashmiri Saivism.
 

Contents

Section 1
3
Section 2
33
Section 3
41
Section 4
93
Section 5
106
Section 6
141
Section 7
157
Section 8
Section 9

Common terms and phrases

अणु अथवा अनुभव अपनी अपने अभिनवगुप्त अर्थात् अवस्था अवस्था में अहं आत्मा आनन्द इति इत्यादि इस प्रकार इसका इसमें इसलिए ईश्वर उस उसका उसके उसे एक एव कर करता है करती करने कला कहते हैं कहलाता है का अर्थ है किन्तु किया की कुछ के के कारण के द्वारा के रूप में के लिए केवल को कोई क्योंकि क्रम क्रिया क्षेमराज गया है चिति चित् चित्त चेतना जगत् जब जाती जिसका जिसमें जीव जो कि ज्ञान तक तत्त्व तब तो दर्शन दृष्टि से दोनों द्वारा नहीं है ने पर परमशिव परमेश्वर पूर्ण प्रमाता प्रमेय प्राण प्राप्त भाव भिन्न भी भीतर भेद महेश्वर माया मैं मोक्ष यह यहाँ या रहता है वह विकास विमर्श विश्व वे शक्ति शब्द शरीर शिव संकुचित संकोच संहार सकता सदा सब समान सूत्र सृष्टि से स्थिति स्वरूप ही हुए है और है कि है जो हो जाता है होता है होती

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