Meedia Aur Hindi Badalti ParvitiyanRavīndra Jādhava, Keśava More समाज की किसी भी विचारधारा,आंदोलन एवं परिवर्तन का जन्म परिवेश और परिथिति की कोख से ही होता है। साहित्य भी उसी सामाजिक परिवेश और परिस्थिति की महत्तम उपलब्धि है।, मीडिया और हिन्दी’ इसी बदलती विचारधारा का एक महत्व्व्पुर्ण पहलू है। बजरबाद के इस युग में मीडिया और भाषा का परिवर्तित स्वर एवं स्वरूप संवेदनशील मानव समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। उसी चिंता को चिंतन का विषय बना कर इस पुस्तक में उतारा गया है। |
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अंग्रेजी अधिक अनेक अपनी अपने अब आज आदि आदिवासी इंटरनेट इन इस इसके उसके उसे एक एवं और कई कर करता है करना करने कहा का कार्य किसी की भाषा कुछ के कारण के माध्यम से के लिए के साथ को कोई गया है गयी चाहिए जनता जाता है जाती जीवन जैसे जो डॉ तक तथा तरह तो था थी थे दिया दुनिया दूरदर्शन देश द्वारा नहीं ने पत्रकारिता पत्रकारिता के पर प्रकार प्रकाशित फिल्म फिल्मों बहुत बात बाद भारत भारतीय भाषा के भाषा में भी भूमिका महत्वपूर्ण महात्मा गाँधी माध्यमों मीडिया मीडिया की में में हिन्दी यह या रहा है रही रहे हैं रूप में रेडियो लेकिन लोगों वह वाले विकास विज्ञापन विश्व वे शब्द शब्दों संचार सकता है सन्दर्भ सभी समय समाचार समाचार-पत्र समाज सामाजिक साहित्य सिनेमा हम हर हिन्दी के हिन्दी भाषा ही हुआ हुई हुए है और है कि हो होता है होती होते होने